मार्गशीर्ष अमावस्या 2025: पितृ पूजा, विष्णु भक्ति और पूर्वजों के लिए अमूल्य दिवस
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 को पितृ पूजा और विष्णु भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इस दिन गंगाजल स्नान, ब्राह्मण भोजन और तर्पण से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है।
आगे पढ़ेंविष्णु एक विष्णु, हिंदू धर्म में संरक्षक और बचाव के देवता, जो धरती पर धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं. इन्हें नारायण भी कहते हैं, और इनकी भक्ति भारत भर में लाखों लोगों के जीवन का हिस्सा है। ये केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक सिद्धांत हैं—जहाँ अधर्म बढ़ता है, वहाँ विष्णु अवतार लेकर न्याय लौटाते हैं। इनके अवतारों की कहानियाँ न सिर्फ धार्मिक हैं, बल्कि सामाजिक और नैतिक सबक भी देती हैं।
विष्णु के दस अवतार, जिन्हें दशावतार, विष्णु के धर्म की रक्षा के लिए लिए गए दस प्रमुख अवतार कहते हैं, भारतीय संस्कृति का आधार हैं। मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि—इनमें से हर अवतार एक नए युग की शुरुआत है। राम और कृष्ण तो ऐसे अवतार हैं जिनकी कथाएँ आज भी घर-घर में सुनी जाती हैं। इनके साथ जुड़ी लक्ष्मी, जो लक्ष्मी, विष्णु की शक्ति और समृद्धि की देवी, जो उनके साथ हमेशा रहती हैं, भी एक अहम प्रतीक हैं। जब विष्णु अवतार लेते हैं, तो लक्ष्मी भी उनके साथ आती हैं। इसलिए इनकी भक्ति में धन, शांति और न्याय का संगम होता है।
विष्णु के प्रतीक भी बहुत खास हैं। श्रीवत्स, चक्र, शंख, गदा और कमल—ये पाँच चीजें उनकी शक्ति का प्रतीक हैं। शंख ध्वनि से अंधकार को भगाता है, चक्र न्याय का प्रतीक है, गदा बल का, और कमल शुद्धता का। ये सब कुछ आपको बताता है कि विष्णु केवल बचाने वाले नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को संतुलित करने वाले हैं। इनकी मूर्तियाँ अक्सर चार भुजाओं वाली होती हैं, जो चार दिशाओं की रक्षा का प्रतीक हैं।
आज भी विष्णु की भक्ति बहुत ज्यादा है। वैष्णव धर्म भारत का सबसे बड़ा संप्रदाय है। जहाँ भी राम या कृष्ण की कथा सुनी जाती है, वहाँ विष्णु की छाया होती है। ये देवता केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में बसे हैं।
इस पेज पर आपको विष्णु से जुड़ी कहानियाँ, उनके अवतारों की व्याख्या, और उनकी भक्ति के तरीके मिलेंगे। कुछ लेख उनके प्रतीकों के बारे में हैं, कुछ उनके अवतारों के साथ जुड़े ऐतिहासिक और सामाजिक बदलावों के बारे में। यहाँ आपको विष्णु के बारे में वो सब कुछ मिलेगा जो आपको जानना चाहिए।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 को पितृ पूजा और विष्णु भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इस दिन गंगाजल स्नान, ब्राह्मण भोजन और तर्पण से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है।
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