मार्गशीर्ष अमावस्या 2025: पितृ पूजा, विष्णु भक्ति और पूर्वजों के लिए अमूल्य दिवस
नव॰, 20 2025
नवंबर 19, 2025 को सुबह 9:43 बजे शुरू होकर अगले दिन दोपहर 12:16 बजे खत्म होने वाली मार्गशीर्ष अमावस्या भारतीय धर्म में पूर्वजों को समर्पित एक अत्यंत पवित्र दिन है। इस दिन घर-घर में तिल, जल और दक्षिणा के साथ पितृ तर्पण किया जाता है, जबकि विष्णु भक्त अपने घरों में तुलसी के पत्ते और श्री विष्णु सहस्रनाम का जाप करते हैं। यह अमावस्या केवल एक चंद्रमा की अवस्था नहीं — यह एक आत्मिक जागृति का संकेत है, जहाँ जीवन के अतीत के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है। जहाँ द टाइम्स ऑफ इंडिया इसे 'पितृ दोष दूर करने का सबसे शक्तिशाली दिन' कहता है, वहीं मनीकंट्रोल इसे 'कृष्ण भक्ति के अमूल्य महीने' में आने वाली एक दिव्य घटना बताता है।
अमावस्या का समय: क्यों दो तारीखें?
यहाँ एक छोटी सी भ्रम की बात है। मार्गशीर्ष अमावस्या का तिथि नवंबर 19 को सुबह 9:43 बजे शुरू होता है और नवंबर 20 को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होता है। इसलिए द टाइम्स ऑफ इंडिया इसे नवंबर 19 को देखता है, क्योंकि तिथि उसी दिन शुरू होती है। वहीं मनीकंट्रोल उस दिन को महत्व देता है जब तिथि अभी भी चल रही होती है — नवंबर 20। दोनों सही हैं। जो लोग रात में तर्पण करते हैं, वे नवंबर 20 को करते हैं। जो सुबह के उदय से शुरू करते हैं, वे 19 को। असली बात यह है: जब तक तिथि चल रही है, आपका पूजा-तर्पण वैध है।
पितृ पूजा के अनुष्ठान: क्या करें, क्या न करें
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है — पूर्वजों को संतुष्ट करना। ऐसा माना जाता है कि अगर आपके परिवार में कोई बीमारी, आर्थिक संकट या अस्थिरता लगातार चल रही है, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। इसे दूर करने के लिए तीन चीजें अनिवार्य हैं: तर्पण, भोजन और दान।
सबसे पहले, आपको एक शुद्ध जल का उपयोग करना होगा। द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, गंगा नदी के घाटों पर नहाना श्रेष्ठ है। लेकिन अगर आप गंगा नहीं पहुँच सकते, तो घर पर एक बाल्टी में कुछ बूँदें गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इसके बाद आपको एक तिल के तेल की दीया जलानी है — और उसे एक पीपल के पेड़ के नीचे रख देना है। यह न सिर्फ एक पवित्र क्रिया है, बल्कि एक ऐसा संकेत है जो आत्माओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
अगला कदम: ब्राह्मणों को आमंत्रित करना। उन्हें सात्विक भोजन — चावल, दाल, दही, शक्कर के लड्डू — परोसें। उन्हें एक नया धोती, जूते और दक्षिणा भी दें। यह एक प्रतीकात्मक दान है, जिसमें आप अपने पूर्वजों के लिए अपना सम्मान देते हैं।
विष्णु भक्ति: एक अलग शक्ति का साथ
लेकिन यहाँ एक अनोखा मोड़ है। मनीकंट्रोल बताता है कि इस अमावस्या के साथ विष्णु की पूजा करना अत्यंत लाभदायक है। क्यों? क्योंकि मार्गशीर्ष महीना विष्णु और कृष्ण के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। आप श्री विष्णु सहस्रनाम का जाप कर सकते हैं, या श्री विष्णु चालीसा पढ़ सकते हैं। तुलसी के पत्ते, फूल, धूप और सफेद भोग चढ़ाएँ। यह न सिर्फ आपके पूर्वजों के लिए है — यह आपके भविष्य के लिए भी है।
एक बात याद रखें: पितृ पूजा और देव पूजा एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं। विष्णु की कृपा से पितृ दोष का निवारण होता है। जैसे एक बाप अपने बेटे की रक्षा करता है, वैसे ही विष्णु पितृ दोष के बोझ को हल्का करते हैं।
दान: जीवन का असली नियम
इस दिन का सबसे गहरा संदेश है — दान। यह केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अभ्यास है। द टाइम्स ऑफ इंडिया और मनीकंट्रोल दोनों बताते हैं कि गरीबों को भोजन, कपड़े, पैसा या आवश्यक वस्तुएँ दें। गाय, कुत्ते और कौवे को खिलाएँ। क्यों? क्योंकि ये तीनों पितृ लोक के प्रतीक हैं। गाय धरती की माता है, कुत्ता निष्ठावान है, और कौवा आत्माओं का संदेशवाहक माना जाता है।
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अपने राशि के अनुसार दान करने से अधिक लाभ होता है। जैसे कि वृषभ राशि वाले लोग गेहूँ दें, मीन राशि वाले दूध या घी। लेकिन यह बात विवादास्पद है। सबसे बेहतर यही है: जो आपके पास है, वही दें — और दिल से दें।
अगले दिन: विवाह पंचमी की तैयारी
मार्गशीर्ष अमावस्या के बाद नवंबर 25, 2025 को विवाह पंचमी मनाई जाएगी — जहाँ अयोध्या और जनकपुरधाम में भगवान राम और सीता के विवाह का अनुष्ठान होगा। यह एक अलग श्रृंखला है, लेकिन इसकी शुरुआत अमावस्या से ही होती है। क्योंकि जब आप अपने पूर्वजों को संतुष्ट करते हैं, तो भगवान आपके भविष्य के लिए नए अवसर खोलते हैं।
पूर्वजों की याद: एक आधुनिक दृष्टिकोण
क्या यह सब आज के समय में भी प्रासंगिक है? जी हाँ। आज के युवा जो शहरों में रहते हैं, जिनके पास घर का बारीक अनुष्ठान नहीं है, वे भी इस दिन एक छोटा सा तर्पण कर सकते हैं — एक बर्तन में जल, तिल और एक दीया के साथ। यह आपको अपनी जड़ों से जोड़ता है। यह आपको याद दिलाता है कि आप अकेले नहीं हैं। आपके पिता, दादा, दादी — उनके जीवन के अनुभव आपके अंदर बसे हैं।
इसलिए यह दिन केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं। यह एक आत्म-पुनर्जागरण का दिन है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ दोष कैसे दूर होता है?
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों का शांति से विसर्जन नहीं हुआ हो। इस दिन तर्पण, ब्राह्मण भोजन और गंगाजल के साथ स्नान से उनकी आत्माएँ संतुष्ट होती हैं। विष्णु की पूजा से देवी-देवता इस बोझ को उठाते हैं। यह एक आध्यात्मिक शुद्धि है, जिससे आर्थिक और स्वास्थ्य संकट कम होते हैं।
अगर कोई घर पर पितृ पूजा नहीं कर सकता, तो क्या करे?
अगर आप घर पर पूजा नहीं कर सकते, तो एक बर्तन में पानी, तिल और एक दीया रखें। नाम लेकर तीन बार अपने पूर्वजों के नाम कहें — 'माता-पिता, दादा-दादी, आपके लिए यह तर्पण है।' फिर उस पानी को पीपल के पेड़ के नीचे बहा दें। यह एक सरल लेकिन प्रभावी विधि है।
क्या इस दिन शादी या नए काम शुरू करना चाहिए?
नहीं। मार्गशीर्ष अमावस्या एक शांति और आत्म-परीक्षा का दिन है। इस दिन शादी, नया घर खरीदना या बड़ा निवेश करना नहीं बताया गया है। इसे अपने पूर्वजों के लिए समर्पित करें। अगले दिन, विवाह पंचमी के बाद ही नए शुभ कार्य शुरू करें।
क्या यह अमावस्या सभी हिंदूओं के लिए जरूरी है?
यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर आपके परिवार में कोई लगातार समस्या है — बीमारी, आर्थिक दिक्कत, या अशांति — तो यह एक अवसर है। यह एक अंतर्जातीय अनुष्ठान है, जो आपको अपनी जड़ों से जोड़ता है। यह आत्मा की आवाज सुनने का समय है।
मार्गशीर्ष महीना क्यों विष्णु के लिए विशेष है?
पुराणों में कहा गया है कि इस महीने भगवान विष्णु अपने अवतार के रूप में अधिक सक्रिय रहते हैं। यह महीना अनुष्ठानों, तपस्या और भक्ति के लिए अनुकूल माना जाता है। विष्णु की कृपा से पितृ दोष दूर होता है, क्योंकि वे संरक्षक हैं। इसलिए इस दिन विष्णु की पूजा करना एक दोहरी लाभ देता है।
क्या इस दिन किसी भी व्यक्ति को तर्पण करना चाहिए?
हाँ। यह केवल उन लोगों के लिए नहीं है जिनके पिता-माता गुजर चुके हैं। यह उन सभी के लिए है जिनके परिवार में किसी का अचानक निधन हुआ हो, या जिनके पूर्वजों का नाम याद नहीं है। यह एक व्यापक सम्मान है — आपके खून के रिश्तेदारों के लिए, और उन सभी के लिए जिन्होंने आपके जीवन को संभव बनाया।