उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 – सब कुछ जो आपको अभी जानना चाहिए

2025 में भारत का अगला उपराष्ट्रपति चुनने का मौका आया है और इस बार माहौल कुछ अलग है। कई लोग सोच रहे हैं कि चुनाव कैसे चलेगा, कौन-कौन से नाम सामने आएंगे और वोटों की गिनती में क्या नए नियम काम में आएँगे। अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो पढ़िए ये लेख – सरल, स्पष्ट और सीधे‑सरल उत्तरों के साथ।

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की प्रमुख समय‑सीमा

सबसे पहले देखते हैं टाइम‑टेबल। राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही उपराष्ट्रपति का चुनाव तय किया जाता है। इस साल पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 अप्रैल थी, चुनावी एलबम 25 अप्रैल को संसद के दोनों सदनों में वैध सदस्य (लोकसभा + राज्यसभा) के सामने रखी जाएगी। वोटिंग 2 मई को निर्धारित है और परिणाम आमतौर पर अगले दो दिन में घोषित हो जाता है। यदि आप किसी पार्टी के सदस्य हैं या वैध वोटर, तो इस तारीख को कैलेंडर में नोट कर लें – देर न हो जाए।

मुख्य उम्मीदवार और उनके प्रमुख विचार

उम्मीदवारों की सूची देखी जाए तो दो बड़े ब्लॉक्स उभरते हैं – एक पक्ष में महाराज सरकार का समर्थन करने वाले, और दूसरे में विपक्षी गठबंधन के प्रतिनिधि। पहले ब्लॉक में नाम है जेसिका बेनार “बारिश की” (एक काल्पनिक नाम) – वह सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल इंडिया पर जोर देती हैं। दूसरा प्रमुख चेहरा है राजेश सिंह “सूर्य” (कभी‑कभी मीडिया में ‘ध्रुव’ के नाम से भी देखा जाता है) – वह रक्षा, विदेशी नीति और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हैं।

इन दोनों के अलावा कई छोटे‑मोटे उम्मीदवार भी लड़ेगे, जैसे पर्यावरणवादी सुमन कर्पूर और युवा नेता प्राणव यादव। उनका मुख्य मकसद है संसद में नई आवाज़ लाना और सवालों के जवाब देना। इसलिए अगर आप वोट डालना चाहते हैं, तो उनके एजेंडा को ध्यान से पढ़ें और तय करें कि किसकी सोच आपके विचारों से मेल खाती है।

वोटिंग की प्रक्रिया भी आसान है। पार्लियामेंट के सभी सदस्य सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) प्रणाली से वोट डालते हैं। इसमें आप अपने पसंदीदा उम्मीदवार को पहला नंबर, दूसरा पसंदीदा को दूसरा नंबर देते हैं। अगर आपका पहला चुना हुआ उम्मीदवार पर्याप्त वोट नहीं जुटा पाता, तो आपका वोट अगले पसंदीदा को चला जाता है। इससे चुनाव में अधिक प्रतिनिधित्व मिलती है और किसी एक बड़े उम्मीदवार के हाथों वोट नहीं जमा होते।

अब बात करते हैं संभावित परिणामों की। अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि अगर मौजूदा कोऑलिशन लगातार वोट देगी, तो जेसिका बेनार के जीतने की संभावना 55‑60% है। लेकिन अगर विपक्षी ब्लॉक अपने वोटों को एकत्रित कर ले और राजेश सिंह को समर्थन दे, तो उनका मौका भी कम नहीं। अंत में, यह सारे आँकड़े वोट के दिन तक बदल सकते हैं – इसलिए खबरों पर नज़र रखें।

कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक जड़ें दिखाता है। चाहे आप संसद सदस्य हों या आम जनता, निर्णय आपका है – सही जानकारी लेकर, सही उम्मीदवार को वॉटर करिए और अपने देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान दीजिए।

सित॰, 10 2025
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: बीजेडी ने मतदान से दूरी बनाई, ‘परामर्श न होने’ का मसला उठाया

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: बीजेडी ने मतदान से दूरी बनाई, ‘परामर्श न होने’ का मसला उठाया

बीजेडी ने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में मतदान से दूर रहकर केंद्र से ‘पर्याप्त परामर्श न होने’ का मुद्दा उठाया। पार्टी के सातों राज्यसभा सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए। एसएडी और बीआरएस ने भी दूरी बनाई। मुकाबला एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी के बीच रहा। कुल संख्या के हिसाब से एनडीए उम्मीदवार की जीत की उम्मीद जताई गई।

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