न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी: किसे जानना ज़रूरी है?

अगर आप भारतीय न्याय प्रणाली में रुचि रखते हैं, तो बी सुदर्शन रेड्डी का नाम अक्सर सुनते रहेंगे। उन्होंने कई हाई कोर्टों में काम किया और अब सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसलों से खबर बनाते हैं। तो चलिए उनके बारे में आसान भाषा में बात करते हैं—जैसे आप एक दोस्त से बात कर रहे हों।

करियर की शुरूआत और प्रमुख पद

बी सुदर्शन रेड्डी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के कॉलेज में की और बाद में लॉ की डिग्री ली। शुरुआती कॉरियर में उन्होंने एक निजी वकील के तौर पर काम किया, फिर सिविल सेवा परीक्षा पास करके उच्च न्यायालय में जज बने। उनका पहला पोस्टिंग मद्रास हाई कोर्ट में था, जहाँ उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर निर्णय दिए।

बाद में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट, फिर दिल्ली हाई कोर्ट में प्रमोशन मिला। हर कोर्ट में उन्होंने अपने फैसलों से न्याय को सुलभ बनाने की कोशिश की—जैसे कि दवाओं की कीमतें घटाने वाले केस या किसानों के अधिकारों को मजबूत करने वाले मुद्दे।

सबसे यादगार निर्णय

सुप्रीम कोर्ट में उनके कुछ फैसले देश भर में चर्चा का विषय बनते हैं। एक प्रमुख केस में उन्होंने डेटा प्राइवेसी को मूल अधिकार बताया, जिससे डिजिटल युग में लोगों को सुरक्षा मिली। दूसरे मामले में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के पक्ष में रूलिंग लिखी, जिससे बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं को रोकना पड़ा।

इनके अलावा, उन्होंने कुछ सामाजिक न्याय के मामलों में भी तेज़ कार्रवाई की। उदाहरण के तौर पर, वे विभिन्न भेदभाव मामलों में पीड़ितों को तुरंत राहत दिलाने के लिए तेज़ सुनवाई की मांग करते रहे।

इन फैसलों की खास बात यह है कि उन्होंने कानूनी भाषा को साधारण समझ में बदल दिया, जिससे आम लोग भी अपने अधिकारों को समझ सकें। यही कारण है कि लोग अक्सर उनके नाम को भरोसे के साथ याद रखते हैं।

कुल मिलाकर, न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी का करियर एक ऐसा उदाहरण है जिसमें तकनीकी ज्ञान, सामाजिक समझ और न्याय के प्रति दृढ़ संकल्प का मेल है। यदि आप उनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो उनके लिखे हुए बयानों, कोर्ट की वेबसाइट और समाचार लेखों पर नज़र डाल सकते हैं। उनकी राय अक्सर मीडिया में भी आती रहती है, इसलिए अपडेट रहना आसान है।

उम्मीद है अब आप समझ गए होंगे कि बी सुदर्शन रेड्डी कौन हैं और उन्होंने भारतीय न्याय व्यवस्था में क्या योगदान दिया है। अगर आप न्याय क्षेत्र में नई नौकरी तलाश रहे हैं या कानून पढ़ रहे हैं, तो उनके केस स्टडीज़ को पढ़ना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

सित॰, 10 2025
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: बीजेडी ने मतदान से दूरी बनाई, ‘परामर्श न होने’ का मसला उठाया

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: बीजेडी ने मतदान से दूरी बनाई, ‘परामर्श न होने’ का मसला उठाया

बीजेडी ने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में मतदान से दूर रहकर केंद्र से ‘पर्याप्त परामर्श न होने’ का मुद्दा उठाया। पार्टी के सातों राज्यसभा सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए। एसएडी और बीआरएस ने भी दूरी बनाई। मुकाबला एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी के बीच रहा। कुल संख्या के हिसाब से एनडीए उम्मीदवार की जीत की उम्मीद जताई गई।

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