मौसम: भारत की ताज़ा हवाएँ, बारिश और तापमान के असर

जब बारिश नहीं होती, तो खेत सूख जाते हैं। जब बहुत ज्यादा होती है, तो शहर बह जाते हैं। मौसम, वातावरण की अस्थायी अवस्था जो हर दिन बदलती है और हमारी जिंदगी को सीधे प्रभावित करती है. यह केवल एक बादल या धूप नहीं, बल्कि खाने की कीमत, ट्रैफिक, बीमा, और यहाँ तक कि खेलों के फिक्सचर तक बदल देता है। इसे आम तौर पर बारिश, भारत में मानसून के रूप में आने वाली जीवनदायी जल व्यवस्था जो देश की कृषि और अर्थव्यवस्था को संचालित करती है और तापमान, वायुमंडल की गर्मी या ठंडक जो शहरी बिजली की खपत, बीमारियों के फैलाव और यहाँ तक कि क्रिकेट मैचों के दिन तय करती है के साथ समझा जाता है।

कलाकृति प्रकाश के अनुसार, मौसम का असर सिर्फ खेतों तक ही सीमित नहीं है। जब बारिश देर से होती है, तो किसान अपने बीज बोने में देरी करते हैं। जब तापमान 45 डिग्री तक पहुँच जाता है, तो शहरों में बिजली की खपत दोगुनी हो जाती है। और जब मौसम बदलता है, तो क्रिकेट मैच भी शेड्यूल बदल जाते हैं—जैसे आईसीसी महिला विश्व कप 2025 में कोलंबो या रावलपिंडी के मैच बारिश के कारण रद्द या स्थानांतरित हुए। यही कारण है कि आज का मौसम आपके बैंक बैलेंस और आपके खेल के टिकट दोनों को छू जाता है।

मौसम बदलाव का असली नुकसान क्या है?

केवल एक बार बारिश न होने से नहीं, बल्कि जब बारिश अचानक और अत्यधिक होती है, तो नुकसान बड़ा होता है। राजस्थान में सीकर और जयपुर में जो सामूहिक आत्महत्याएँ हुईं, उनके पीछे भी एक गहरा मौसमी तनाव था—किसानों का ऋण, फसलों का नुकसान, और बारिश के अनिश्चित होने का डर। जब आपकी आय बारिश पर निर्भर होती है, तो मौसम आपकी उम्मीदों का निर्माण और विनाश करता है। यही वजह है कि आज के समाचारों में मौसम की बात करना सिर्फ एक अपडेट नहीं, बल्कि एक जीवन-मृत्यु का मुद्दा है।

इस पेज पर आपको उन सभी कहानियाँ मिलेंगी जो मौसम ने बनाई हैं—किसानों की लड़ाई, शहरों की बाढ़, क्रिकेट मैचों के रद्द होने, और वो बदलाव जो अब हर साल और ज्यादा तेज हो रहे हैं। यहाँ आपको बस एक तापमान या बारिश का अंक नहीं मिलेगा, बल्कि वो असली जिंदगी जो इन आँकड़ों के पीछे छिपी है।

अक्तू॰, 30 2025
NCR में बादल छाने के बाद सर्दी तेजी से बढ़ेगी, 5 नवंबर के बाद तापमान में उतार-चढ़ाव

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5 नवंबर के बाद एनसीआर में तापमान तेजी से गिरने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोन मोंथा के प्रभाव की पुष्टि की है।

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