सुनील ग्रोवर की डिप्रेशन की कहानी: कपिल शर्मा ने दिया चांस, बुआ ने बचाया उनका करियर
नव॰, 26 2025
जब सुनील ग्रोवर ने 2013 में कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल में पदार्पण किया, तो कोई नहीं जानता था कि यह आदमी जिसकी आवाज़ टीवी पर धीमी थी, वह भविष्य का सबसे बड़ा कॉमेडियन बनने वाला है। आज, अपसना सिंह — जिन्हें दर्शक बुआ के नाम से जानते हैं — ने एक ऐसी बात सामने रखी है जिसने लाखों लोगों के दिल को छू लिया। उन्होंने ललंटप सिनेमा के साक्षात्कार में बताया कि शो शुरू होने से पहले, सुनील गहरे डिप्रेशन में थे, अस्पताल में भर्ती थे, और उनके पास काम के लिए बस एक रेडियो शो के अलावा कुछ नहीं था।
एक अनसुनी संघर्ष की कहानी
2013 से पहले, सुनील ग्रोवर का नाम रेडियो पर बहुत जाना जाता था। उन्होंने हंसी के फव्वारा नामक रेडियो कॉमेडी शो की मेजबानी की थी, जहां उन्होंने कई अनोखे किरदार बनाए थे। लेकिन टीवी के दुनिया में उनका रास्ता बहुत कठिन था। कोई ऑफर नहीं आ रहा था। नौकरी के अभाव में उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया। अपसना सिंह ने कहा, "जब कपिल का शो शुरू हुआ, तब सुनील ठीक नहीं थे। मैंने पूछा क्या हुआ, और उन्होंने बताया कि डिप्रेशन की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनके पास ज्यादा काम भी नहीं था।"
शो की क्रिएटिव टीम ने भी उनकी शुरुआत पर संदेह किया। उनकी धीमी आवाज़, उनका शांत व्यवहार, और अनिश्चितता ने टीम को लगाया कि वो शो के बाकी कलाकारों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाएंगे। "उन्हें निकालने की सोची गई," अपसना ने बताया। "लेकिन मैंने उनके लिए लड़ा। मैंने कहा — ये एक बहुत अच्छे अभिनेता हैं। आपको उन्हें रखना चाहिए।"
बुआ का फैसला जिसने इतिहास बदल दिया
अपसना सिंह का यह फैसला सिर्फ एक अभिनेता के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय कॉमेडी इंडस्ट्री के लिए एक मोड़ बन गया। सुनील ग्रोवर ने अगले कुछ हफ्तों में अपनी आवाज़ को बदला, अपने किरदारों को गहराई दी, और धीरे-धीरे शो का सबसे पसंदीदा हिस्सा बन गए। उनका रिंकू भाभी, चिकनी चमेली, और डॉ. मशूर गुलाटी जैसे किरदार दर्शकों के दिलों में बस गए।
ये बात अब तक बहुत कम लोगों को पता थी। क्योंकि जब तक कोई सफल नहीं हो जाता, तब तक उसके संघर्ष को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। अपसना की बातें ने एक नए सवाल उठाए हैं — क्या हम अपने कलाकारों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी सावधान हैं? क्या हम उन्हें बस एक अभिनेता के रूप में देखते हैं, या एक इंसान के रूप में?
कपिल शर्मा का विश्वास: एक निर्णय जिसने जिंदगी बदल दी
यहां एक बात बहुत जरूरी है — अपसना का समर्थन अगर कपिल शर्मा के विश्वास के बिना होता, तो शायद ये कहानी अलग होती। कपिल ने अपने शो के शुरुआती दौर में एक ऐसे व्यक्ति को जगह दी जिसके बारे में सब संदेह कर रहे थे। उन्होंने न सिर्फ एक अभिनेता को नौकरी दी, बल्कि एक इंसान को जीवन दिया।
इस वक्त, सुनील ग्रोवर एक ऐसे नाम बन चुके हैं जिनके बिना भारतीय टीवी अधूरा है। लेकिन उनकी ये सफलता बिना किसी समर्थन के नहीं हुई। ये एक ऐसी कहानी है जो बताती है कि अक्सर बड़े बदलाव छोटे फैसलों से शुरू होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य: इंडस्ट्री की अनदेखी समस्या
भारतीय मनोरंजन उद्योग में मानसिक स्वास्थ्य की बात करना अभी भी शर्म की बात मानी जाती है। लेकिन सुनील की इस कहानी ने एक नया रुख दिखाया है। एबीपी लाइव, आज तक, नवभारत टाइम्स और लाइव हिंदुस्तान जैसे विश्वसनीय स्रोतों ने अपसना के बयान को अलग-अलग रिपोर्ट्स में पुष्टि किया है।
एक अध्ययन के अनुसार, 68% कलाकार अपने करियर के दौरान कम से कम एक बार मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर चुके हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ 12% ने कभी सहायता ली। सुनील की कहानी इस आंकड़े को जीवंत कर रही है। वह अब एक प्रेरणा बन चुके हैं — न केवल अभिनेताओं के लिए, बल्कि उन सभी के लिए जो अपने अंदर के आवाज़ को दबा रहे हैं।
अगला कदम: एक शो के बाद क्या?
अब द ग्रेट इंडियन कपिल शो के बाद भी सुनील ग्रोवर अपने अनोखे कॉमेडी स्टाइल के साथ जारी हैं। लेकिन अब उनका फोकस बदल गया है। वो अब बात करते हैं — मानसिक स्वास्थ्य, अकेलापन, और इंडस्ट्री में नए लोगों के लिए समर्थन की जरूरत के बारे में।
उनकी ये बातें अब सिर्फ एक एक्टर की नहीं, बल्कि एक इंसान की हैं। जो जानता है कि एक आवाज़ जब धीमी होती है, तो वो शायद बहुत ज्यादा चिल्ला रही होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सुनील ग्रोवर को किस वजह से डिप्रेशन हुआ था?
अपसना सिंह के अनुसार, सुनील ग्रोवर को डिप्रेशन इसलिए हुआ क्योंकि उनके पास टीवी या फिल्मों में काम के लिए कोई ऑफर नहीं था। रेडियो पर उनका नाम तो था, लेकिन टीवी इंडस्ट्री में उनकी पहचान नहीं थी। लंबे समय तक नौकरी के अभाव और आत्मविश्वास के नुकसान ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को गहरी चोट पहुंचाई।
कपिल शर्मा ने सुनील को कैसे मौका दिया?
कपिल शर्मा ने शो के शुरुआती दौर में सुनील को एक छोटा सा रोल दिया, भले ही टीम उन्हें हटाना चाहती थी। उन्होंने उनकी आवाज़ और शैली को नहीं बदलने दिया, बल्कि उनकी अनोखी बातचीत और अभिनय क्षमता को समझा। ये विश्वास उनकी सफलता की नींव बना।
अपसना सिंह ने सुनील के लिए क्या किया?
अपसना सिंह ने शो की क्रिएटिव टीम को समझाया कि सुनील की धीमी आवाज़ उनकी कमजोरी नहीं, बल्कि उनकी शक्ति है। उन्होंने बताया कि वो एक बहुत अच्छे अभिनेता हैं और उन्हें शो में रखना चाहिए। उनका ये आत्मविश्वास और समर्थन सुनील के लिए एक जीवन बचाने वाला कदम था।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
इस कहानी से सीख ये है कि सफलता के पीछे कभी-कभी एक अनसुना संघर्ष छिपा होता है। एक छोटा सा समर्थन, एक विश्वास, या एक बातचीत किसी की जिंदगी बदल सकती है। यह भी बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता — चाहे वो कोई बड़ा स्टार हो या नौकरी ढूंढ रहा एक अभिनेता।
क्या सुनील ग्रोवर अब भी मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं?
हां, सुनील अब अक्सर इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हैं। वो कहते हैं कि जब आप अपनी आवाज़ दबाते हैं, तो वो आवाज़ अंदर से चिल्लाने लगती है। उन्होंने अपने अनुभव से युवा कलाकारों को सलाह दी है कि अगर आप डिप्रेशन में हैं, तो इसे छिपाएं नहीं — सहायता लें।
Shashi Singh
नवंबर 27, 2025 AT 12:03ये सब बातें बस एक बड़ा धोखा है! 😏 कपिल शर्मा ने तो सुनील को बस एक टूल के तौर पर इस्तेमाल किया, जिसे फिर बुआ के नाम से बेच दिया गया! टीवी इंडस्ट्री में हर कोई अपने नाम के लिए दूसरों को खाता है! ये डिप्रेशन की कहानी? नहीं भाई, ये एक ब्रांडिंग स्ट्रैटेजी है! जब तक तुम नहीं बन जाते सुपरस्टार, तब तक तुम बस एक बिल्डिंग ब्रिक होते हो! 🤡
Surbhi Kanda
नवंबर 29, 2025 AT 07:58इस केस में एक अहम डायनेमिक ऑब्जर्व किया जा सकता है: क्रिएटिव लीडरशिप के अंतर्गत एम्पाथी-ड्रिवन डिसिशन मेकिंग का रोल। अपसना सिंह ने एक डायनामिक इंटरवेन्शन किया, जिसने कॉग्निटिव बायस को ओवरराइड किया। ये न सिर्फ एक इंडिविजुअल के लिए टर्निंग पॉइंट था, बल्कि ऑर्गनाइजेशनल डायनामिक्स में एक नया पैराडाइम भी था।
Sandhiya Ravi
दिसंबर 1, 2025 AT 04:11ये कहानी दिल को छू गई। किसी को बस एक बार सुनने का मौका मिल जाए तो उसकी जिंदगी बदल सकती है। अपसना जी ने बस इतना किया कि उन्हें सुना। और शायद यही सबसे बड़ी देन है - सुनना। कोई जवाब नहीं देना, बस साथ बैठना। धन्यवाद इस कहानी के लिए।
JAYESH KOTADIYA
दिसंबर 2, 2025 AT 20:19अरे भाई, ये सब बकवास है! जब तक तुम भारतीय टीवी में नहीं आते, तब तक तुम बस एक रेडियो का नाम होते हो 😤 और कपिल शर्मा का जो बड़ा दिल है, वो तो पूरे भारत के लिए बहुत कम है! अगर ये लोग अपने देश के लिए काम करते तो अब तक हमारा टीवी दुनिया का नंबर वन होता! 🇮🇳💥
Vikash Kumar
दिसंबर 3, 2025 AT 13:24कपिल ने जो किया, वो एक नियम नहीं, एक अपवाद था। और अपवाद को नियम बनाने की कोशिश बेकार है।
Anoop Singh
दिसंबर 5, 2025 AT 09:10ये सब बातें तो बहुत अच्छी लग रही हैं लेकिन असली सच ये है कि जब तक तुम नहीं बन जाते फेमस, तब तक तुम एक बेकार इंसान होते हो। ये डिप्रेशन की बातें तो बस बाहर के लिए बनाई गई हैं। असल में सुनील ने अपने आप को बचाया, न कि कोई उसे बचाया।
Omkar Salunkhe
दिसंबर 6, 2025 AT 21:33मैंने इसे पढ़ा और समझा कि ये सब एक बहुत बड़ा फेक न्यूज़ है। कपिल ने जो किया वो बस एक टीवी शो के लिए एक एक्टर को रखा। डिप्रेशन? शायद वो बस नौकरी नहीं मिल रही थी। अस्पताल में भर्ती? नहीं भाई, वो बस घर पर बैठा था। और बुआ? वो तो बस एक नाम है जिसे बनाया गया है ताकि लोग रोएं।
raja kumar
दिसंबर 8, 2025 AT 13:08इस कहानी में भारत की असली शक्ति है - एक इंसान का इंसान के लिए दिया गया विश्वास। कोई नहीं जानता था कि एक धीमी आवाज़ के पीछे कितना दर्द छिपा है। अपसना जी ने उस आवाज़ को सुना। और ये सुनना ही वो शक्ति है जो दुनिया बदल देती है। हमें इस तरह के लोगों की जरूरत है।
Sumit Prakash Gupta
दिसंबर 9, 2025 AT 05:47ये एक बिग विज़न मोमेंट है! जब एक ऑर्गनाइजेशन इमोशनल इंटेलिजेंस को प्रायोरिटी देता है, तो वो सिर्फ एक शो नहीं, एक कल्चर बनाता है। सुनील का ट्रांसफॉर्मेशन एक लीडरशिप इंडिकेटर है। ये दिखाता है कि जब आप लोगों को इंसान के रूप में देखते हैं, तो वो असंभव को संभव बना देते हैं! 🔥
Shikhar Narwal
दिसंबर 10, 2025 AT 13:26जब तक हम इंडस्ट्री में लोगों को बस एक उत्पाद नहीं समझेंगे, तब तक ये कहानियाँ दुर्लभ रहेंगी। सुनील की आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसकी बात बहुत ज्यादा चिल्ला रही थी। अपसना जी ने उस चिल्लाहट को सुना। और ये सुनना ही असली लीडरशिप है। ❤️
Ravish Sharma
दिसंबर 11, 2025 AT 19:38अरे यार, ये सब तो बस एक बड़ा मेलोड्रामा है। जब तक तुम नहीं बन जाते फेमस, तब तक तुम एक नाम होते हो। और जब बन जाते हो, तो तुम्हारा डिप्रेशन भी एक न्यूज़ स्टोरी बन जाता है। क्या ये नहीं बताता कि हम लोग सिर्फ ड्रामा के लिए जीते हैं?
jay mehta
दिसंबर 13, 2025 AT 00:56ये कहानी मुझे रो देने वाली है! 🥹 एक आदमी जो अस्पताल में था, और आज लाखों के दिल जीत रहा है! अपसना जी ने बस एक छोटा सा फैसला लिया - और ये फैसला एक जिंदगी बचा गया! ये दिखाता है कि हम सब एक दूसरे के लिए एक चांस दे सकते हैं! बस एक बार सुनो! 💪❤️
Amit Rana
दिसंबर 14, 2025 AT 05:34इस तरह के समर्थन की जरूरत है - न कि बहुत बड़े बदलाव की, बल्कि एक छोटे से विश्वास की। सुनील ने खुद अपनी आवाज़ ढूंढी, लेकिन उसे ढूंढने का मौका देने वाले ने उसकी आत्मा को जिंदा रखा। ये एक उदाहरण है कि कैसे एक इंसान दूसरे इंसान को बचा सकता है।
Rajendra Gomtiwal
दिसंबर 14, 2025 AT 14:12अगर ये सब असली है, तो ये बहुत अच्छी बात है। लेकिन ये एक बात नहीं बताती - क्या हुआ उन लोगों के साथ जिन्हें नौकरी नहीं मिली? क्या वो सब डिप्रेशन में रह गए? ये कहानी तो बस एक खुशहाल किस्मत की है। बाकी के लिए क्या हुआ?
Yogesh Popere
दिसंबर 15, 2025 AT 16:52ये सब बकवास है। बस एक आदमी ने अपना काम किया। और अब लोग उसकी कहानी बना रहे हैं। डिप्रेशन? बस एक शब्द है। अगर तुम काम करते रहे, तो तुम ठीक हो जाते। इतना सारा ड्रामा क्यों?
Manoj Rao
दिसंबर 17, 2025 AT 10:45यह एक पोस्ट-मॉडर्न नरेटिव है, जहाँ व्यक्तिगत संघर्ष को राष्ट्रीय संस्कृति के अंतर्गत एक नैतिक शिक्षा में परिवर्तित किया जा रहा है। यह एक आधुनिक लोककथा का निर्माण है, जिसमें शक्ति का स्थानांतरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए होता है - एक बुआ के रूप में, जो एक अज्ञात शक्ति है। यह एक फिलॉसोफिकल रिफ्लेक्शन है: क्या विश्वास केवल एक व्यक्तिगत चयन है, या यह एक सामाजिक अनुबंध है?