मनमोहन सिंह की स्मृति स्थल निर्माण को मिली स्वीकृति: 900 वर्ग मीटर का प्लॉट सरकार ने दिया

मनमोहन सिंह की स्मृति स्थल निर्माण को मिली स्वीकृति: 900 वर्ग मीटर का प्लॉट सरकार ने दिया सित॰, 27 2025

दिल्ली के यमुना किनारे स्थित राष्ट्रीय स्मृति स्थल (Rashtriya Smriti Sthal) में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिये जमीन का आवंटन आज आधिकारिक रूप से तय हो गया। 92 वर्षीय महापुरुष के 26 दिसंबर 2024 को निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार निकम्बोध घाट पर किया गया था। अब उनकी याद में गढ़े जाने वाले स्मारक की योजना ने राजनीतिक गड़बड़ियों को भी पीछे छोड़ दिया है।

स्मृति स्थल के लिये चयनित स्थल और प्रक्रिया

गृह निर्माण एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल के परिसर में दो संभावित जगहों को शॉर्टलिस्ट किया। इन दो विकल्पों को परिवार के सामने पेश किया गया, जहाँ उन्होंने मध्य भाग में स्थित 900 वर्ग मीटर के प्लॉट को चुना। इस चयन के बाद उद्पींदर सिंह, दमन सिंह और उनकी पत्नियों ने स्वयं स्थल का निरीक्षण किया।

परिवार की आधिकारिक स्वीकृति पत्र परिसर के शासक, गुऱशी कौर ने सरकार को भेजा। पत्र में बताया गया कि एक ट्रस्ट स्थापित किया जाएगा, जो जल्द ही भूमि के लिये आवेदन करेगा। सरकार ने बताया कि ऐसी ट्रस्ट को निर्माण हेतु अधिकतम 25 लाख रुपये का एकबारगी अनुदान दिया जा सकता है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और इतिहासिक महत्व

राजनीतिक पृष्ठभूमि और इतिहासिक महत्व

स्मृति स्थल पर इस प्रकार की विवादित स्थिति की जड़ें कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए गए प्रश्नों में हैं। वह पार्टी यह कह रही थी कि भाजपा सरकार ने मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक हेतु उचित जगह नहीं दी। गृह मंत्रालय ने पुष्टि की कि कांग्रेस और परिवार के अनुरोध को स्वीकार कर दिया गया है और ट्रस्ट के गठन के बाद ही जमीन आवंटित की जाएगी।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते समय 2013 में ही राष्ट्रीय स्मृति स्थल की अवधारणा को मंजूरी मिली थी। उस समय का उद्देश्य था – सभी पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिये एक ही राष्ट्रीय स्मारक स्थापित करना, ताकि दिल्ली में व्यक्तिगत स्मारकों की अति न हो। अब अंततः इस पहल का फल मिल रहा है, और उनके स्मारक को इस ही मंच पर स्थापित किया जाएगा।

सरकार ने बताया कि इस परिसर में अभी केवल दो खाली प्लॉट बचे हैं। एक प्लॉट पूर्व राष्ट्रपति प्राणब मुखर्जी के परिवार को पहले ही प्रस्तावित किया गया था, जबकि दूसरा ही अब मनमोहन सिंह के परिवार द्वारा स्वीकार किया गया। सभी स्मारकों की वास्तुशिल्पीय योजना राष्ट्रीय स्मृति स्थल के मानक अनुसार ही होगी।

  • स्मारक के लिये ट्रस्ट के गठन की जिम्मेदारी पूरी तरह से परिवार की होगी।
  • ट्रस्ट को भूमि आवंटन के लिये आवेदन करने के बाद, केंद्रीय सार्वजनिक कार्य विभाग (CPWD) के साथ समझौता (MOU) साइन किया जायेगा।
  • निर्माण कार्य में राष्ट्रीय स्मृति स्थल की सामान्य डिजाइन का उपयोग होगा, जिससे सभी स्मारकों में एकरूपता बनी रहेगी।
  • प्रक्रिया को पूरा होने में अनुमानित एक से दो हफ्ते लगेंगे।

जब से यह खबर सार्वजनिक हुई है, तब से कई राजनैतिक विश्लेषकों ने कहा है कि यह फैसला भारतीय लोकतंत्र में शेष शेष बंधुता और सम्मान को दर्शाता है।मनमोहन सिंह स्मृति स्थल को राष्ट्रीय स्मृति स्थल में शामिल करने का यह कदम भविष्य में अन्य प्रमुख नेताओं के लिये भी एक मार्गदर्शक बन सकता है।