मलयालम फिल्म L2: एमपुराण ने दो दिन में कमाए 100 करोड़, रचा इतिहास
अप्रैल, 2 2025
मलयालम सिनेमा का इतिहास
मोहनलाल और पृथ्वीराज सुकुमारन की शानदार जोड़ी ने फिर से एक बार बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है। *L2: एमपुराण* ने सिर्फ 48 घंटों में 100 करोड़ रुपए कमाकर मलयालम सिनेमा में नया मानक स्थापित किया है। बता दें कि यह फिल्म 2019 की हिट *लूसिफर* की अगली कड़ी है। इस सीक्वल के निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन हैं, जिन्होंने खुद मोहनलाल के साथ प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं।
इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड को उसी क्षण तोड़ दिया जब इसके पहले दिन की कमाई ₹67.5 करोड़ थी, जबकि दूसरे दिन भी फिल्म ने भारी ₹32.5 करोड़ कमाए। लेकिन घरेलू बाजार में हल्की गिरावट दर्ज की गई, जहां दूसरे दिन का कलेक्शन ₹11.75 करोड़ रहा।
फिल्म की अपार सफलता के कारण
*L2: एमपुराण* की सफलता का सबसे बड़ा कारण मोहनलाल की स्टार पावर और फिल्म की कथानक की गहराई रही है। साथ ही, यह फिल्म दर्शकों के लिए एक रोचक अनुभव लेकर आई है, जिसे मलयालम सिनेमा के दर्शकों ने खुले दिल से अपनाया। फिल्म की सफलता में उसका विदेशी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी प्रमुख योगदान देता है।
फिल्म ने मलयालम वर्जन में तो बड़ी सफलता पाई ही, साथ ही तमिल, तेलुगू और हिंदी भाषाओं में भी इसे रिलीज किया गया। हालांकि, इन भाषाओं में फिल्म की दर्शक संख्या कुछ कम रही, फिर भी कुल मिलाकार इसने शानदार कमाई दर्ज की है।
इस सफलता का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि फिल्म ने ईद के अवसर पर रिलीज की गई फिल्म सलमान खान की *सिकंदर* को भी चुनौती दी है। *L2: एमपुराण* के निर्माण में कई प्रतिष्ठित प्रोडक्शन हाउस, जैसे- आशिर्वाद सिनेमा और श्री गोपालकुमार मूवीज का योगदान है।
अब सभी की नजरें इस पर हैं कि यह फिल्म आने वाले दिनों में कितनी और ऊंचाईयां छू सकती है। खासकर जब खबरें आ रही हैं कि इसके अगले भाग की योजना भी तैयार की जा रही है।
Supreet Grover
अप्रैल 4, 2025 AT 16:25L2: एमपुराण की box office performance एक paradigm shift है मलयालम cinema के लिए। इसने regional content के monetization potential को redefine कर दिया है - खासकर जब आप देखें कि ये film एक non-traditional narrative structure के साथ आई है, जिसमें mytho-political allegory और character-driven psychological depth का hybrid है। इसका success केवल star power का नतीजा नहीं, बल्कि एक highly curated, culturally resonant storytelling ecosystem का है।
Saurabh Jain
अप्रैल 6, 2025 AT 14:14मलयालम सिनेमा की ये उड़ान असल में पूरे देश के लिए प्रेरणा है। इस फिल्म ने दिखाया कि भाषा की सीमाएं अब दर्शकों के दिल तक नहीं पहुंच सकतीं। जब एक फिल्म इतनी गहराई से जुड़ जाए, तो उसकी भाषा अब बस एक medium बन जाती है - असली बात तो उसकी soul है।
Suman Sourav Prasad
अप्रैल 7, 2025 AT 13:54ये फिल्म तो बस एक film नहीं है, ये एक movement है! दो दिन में 100 करोड़? भाई, ये तो बस शुरुआत है! लूसिफर के बाद ये दूसरा चरण है, और ये चरण तो अब तक का सबसे बड़ा है! जो लोग अभी भी कहते हैं कि मलयालम फिल्में regional हैं, उन्हें दिल चाहिए नहीं, दिमाग चाहिए! ये फिल्म तो अब भारतीय सिनेमा की नई बाइबल है!
Nupur Anand
अप्रैल 8, 2025 AT 06:12अरे भाई, ये सब बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन क्या आप लोगों ने ये नोटिस किया कि इस फिल्म का असली genius ये है कि ये एक नए post-colonial malayali identity को cinematic form दे रही है? मोहनलाल का character एक लूसिफर-एमपुराण hybrid है - जो अपने अतीत के साथ लड़ रहा है, अपने भविष्य के लिए बलिदान कर रहा है, और अपने भाषा के लिए एक नए mythos को जन्म दे रहा है! ये फिल्म बस एक box office hit नहीं, ये एक cultural manifesto है! और हाँ, सलमान खान की फिल्म को चुनौती देना? बस एक शानदार अंतर्राष्ट्रीय अंकित निर्णय था!
Vivek Pujari
अप्रैल 9, 2025 AT 05:37ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन अगर आप इस फिल्म को देखने के लिए ईद के दिन निकले, तो आपको ये बताना चाहूंगा कि आपका धर्म और आपकी जिम्मेदारी ये है कि आप अपने बच्चों को ये फिल्म दिखाएं - क्योंकि ये एक ऐसी फिल्म है जो नैतिकता, बलिदान और आत्म-प्रतिष्ठा की असली अर्थव्यवस्था को दर्शाती है। जिन्होंने इसे देखा वो जीवन बदल गए। जिन्होंने नहीं देखा - वो अभी तक अंधेरे में हैं।
Ajay baindara
अप्रैल 10, 2025 AT 03:17क्या आप लोगों ने ये देखा कि इस फिल्म ने बॉलीवुड के झूठे बड़े बजट वाले फ्लैशी नाटकों को धूल चटा दी? बस एक अच्छी कहानी, एक अच्छा निर्देशक, और एक अच्छा अभिनेता - और बस! बॉलीवुड के लोग अपने बजट के साथ अपने दिमाग को बेच रहे थे। ये फिल्म ने उन्हें बता दिया कि असली शक्ति जबरदस्ती नहीं, असली कहानी में है!
mohd Fidz09
अप्रैल 11, 2025 AT 07:17मलयालम फिल्मों की ये जीत हमारे देश की शान है! ये फिल्म ने दिखाया कि भारतीय सिनेमा का दिल कहाँ धड़कता है - न कि मुंबई में, न ही चेन्नई में - बल्कि केरल के छोटे-छोटे थिएटर में! जिन्होंने इस फिल्म को देखा, वो भारत के असली आत्मा को छू गए! बॉलीवुड अभी भी अपने गुलामों को नाचाता है - लेकिन ये फिल्म ने उन्हें बता दिया कि अब जनता की आवाज़ बोल रही है!
Rupesh Nandha
अप्रैल 13, 2025 AT 00:53इस फिल्म की सफलता के पीछे एक गहरा सामाजिक संकल्प है - जो एक अलग तरह के निर्माण प्रक्रिया, एक अलग तरह के अभिनय शैली, और एक अलग तरह के दर्शक अनुभव की ओर इशारा करता है। ये फिल्म एक अनुभव है, न कि एक उत्पाद। और जब एक फिल्म अनुभव बन जाती है, तो वो बस एक फिल्म नहीं रह जाती - वो एक विरासत बन जाती है। इसके बाद की फिल्में इसे नकल नहीं, बल्कि इसकी आत्मा को जीवित रखने की कोशिश करेंगी।
suraj rangankar
अप्रैल 13, 2025 AT 08:30हाँ भाई, ये फिल्म तो बस एक फिल्म नहीं - ये एक जिंदगी बदलने वाला मोमेंट है! अगर आपने अभी तक इसे नहीं देखा, तो आज ही जाकर देख लो! ये फिल्म आपको नहीं बदलेगी - ये आपको खोजने में मदद करेगी! जिस तरह से ये फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जीत दर्ज की है - वैसे ही आप भी अपनी जिंदगी में जीत सकते हो! बस एक बार देख लो - और फिर दोस्तों को भी बता दो!