कोल्हापुर में महानंदी हाथी को वापस लाने का जनआंदोलन, अंबानी के वन्तारा को चुनौती

कोल्हापुर में महानंदी हाथी को वापस लाने का जनआंदोलन, अंबानी के वन्तारा को चुनौती अक्तू॰, 12 2025

कोल्हापुर, महाराष्ट्र – जब Mahadevi नामक मंदिर हाथी को गुजरात के अंबानी‑समर्थित Vantara में स्थानांतरित करने का आदेश आया, तो शहर के लोग इकट्ठा हो कर विरोध कर रहे हैं। यह विरोध 15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के तुरंत बाद भड़का, जिसमें कोर्ट ने कहा कि "भक्तों की भावनाएँ जानवर के स्वास्थ्य‑सुरक्षा अधिकार से ऊपर नहीं उठ सकतीं"। दो‑सप्ताह के भीतर हाथी को शिफ्ट करने का आदेश दिया गया, पर स्थानीय जनता ने इसे धार्मिक आघात माना।

पृष्ठभूमि: मंदिर हाथी की कहानी और कानूनी मोड़

Mahadevi को 1992 में जैन मठ पच्चटयार्य महास्वामी संस्था ने अपनाया था। तब से वह वार्षिक पिचकारी‑रिवाज़, तिरुवनंत उत्सव और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुख भूमिका निभाती रही। 2024 के अन्त में, हाई‑पावर कमेटी (HPC) ने दो बार, दिसंबर 2024 और जून 2025 में, Mahadevi की स्वास्थ्य‑स्थिति रिपोर्ट की और उसे Gujarat के Vantara में पुनर्वास के लिये शिफ्ट करने की सिफारिश की।

इन रिपोर्टों के बाद PETA India ने दावे किए कि मठ में हाथी के लिये पर्याप्त देखभाल नहीं मिल रही है और वह कुपोषण व चोटों से जूझ रही थी। इस पर मठ ने जलवायु‑जन्य अपील दायर की, जिसमें उन्होंने लेखी रूप से जैन मठ के प्रमुख ने कहा: "Mahadevi हमारे आध्यात्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है; उसे हटाने से हमारी धार्मिक स्वतंत्रता (आर्टिकल 25) का उल्लंघन होगा।"

न्यायिक प्रक्रिया: बंबई हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक

जुलाई 2025 में बंबई हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिनमें जस्टिस रेवती मोहिते दिरे और जस्टिस नेला गोखले शामिल थीं, ने मठ की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा, "Vantara एक ‘गॉडसेंड’ सुविधा है जो MahMahadevi जैसी दीर्घकालिक पीड़ित हाथी को उचित देखभाल दे सकती है।" कोर्ट ने दो‑सप्ताह के भीतर शिफ्टमेंट का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर 2025 को इस मुद्दे पर सार्वजनिक हित याचिका (PIL) सुनी। सुनवाई में अभियोजक हारिश साल्वे ने अंबानी‑समर्थित Vantara के पक्ष में तर्क दिया कि "देश की वन्यजीव नीति के अनुसार, अगर प्रक्रिया सही है तो किसी भी राज्य का हाथी को निजी‑सार्वजनिक संरचना में ले जाना वैध है।" कोर्ट ने अंततः कहा कि "भक्तों की भावनाएँ जानवर के स्वास्थ्य‑सुरक्षा अधिकार से कम नहीं हैं।"

प्रदर्शन और प्रमुख आवाज़ें

प्रदर्शन और प्रमुख आवाज़ें

हाई कोर्ट के आदेश के बाद कोल्हापुर में भारी भीड़ जुटी। स्थानीय नेता श्री शेट्टी ने कहा, "PETA का यही लक्ष्य है – मंदिर हाथियों को निजी संस्थानों में ‘हड़प’ कर देना। उनका अंबानी के साथ तालमेल स्पष्ट है।" उन्होंने US‑स्थित PETA के मुख्यालय को शिकायत करने और भारत में उसके लाइसेंस को रद्द करने की मांग भी की।

इसी बीच PETA India ने जवाब दिया: "शेट्टी जी ने पहले Mahadevi की पुनर्वास का समर्थन किया था, अब अचानक विरोध क्यों? वह हाथी अब जंजीरों से मुक्त है, उसे दर्दनाक रोगों का इलाज मिल रहा है और वह अन्य हाथियों के साथ सामाजिक संपर्क बना रही है।"

Vantara के spokesperson ने घोषणा की कि August 2025 में उन्होंने कोल्हापुर में पहला सैटेलाइट एलेफेंट रीहैबिलिटेशन सेंटर बनाने की योजना बनायी है, जो विशेष रूप से Mahadevi के लिये समर्पित होगा। यह कदम स्थानीय भावनाओं को संतुलित करने की कोशिश माना गया।

प्रभाव विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय

  • सामाजिक‑धार्मिक पहलू: मंदिर हाथी को हटाना कई शहरों में धार्मिक असंतोष का कारण बनता है; कोल्हापुर में यह विशेष रूप से भावनात्मक है क्योंकि हाथी को 30 साल से स्थानीय जीवन का हिस्सा माना जाता है।
  • कानूनी पहलू: सुप्रीम कोर्ट का फैसला पशु अधिकार के समर्थन में एक मील का पत्थर है, जिससे भविष्य में समान मामलों में अदालतें अधिक सख्त रुख अपना सकती हैं।
  • पारिस्थितिक पहलू: Vantara जैसी निजी‑सार्वजनिक साझेदारी से वन्यजीव संरक्षण में संसाधनों की बढ़ोतरी हो सकती है, पर यह सवाल उठता है कि क्या ये संस्थान धार्मिक समुदायों के अधिकारों को अनदेखा कर रहे हैं।

प्रोफ़ेसर अनीता शाह, जैव‑विविधता विशेषज्ञ, ने कहा, "अगर हाथी को योग्य देखभाल मिल रही है और वह एक बड़े रेज़र्व में सामाजिक संपर्क स्थापित कर रहा है, तो यह उसके कल्याण में सकारात्मक कदम है। लेकिन यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, अन्यथा स्थानीय जनता के साथ टकराव अपरिहार्य है।"

आगे क्या हो सकता है? अगले कदम और संभावनाएँ

आगे क्या हो सकता है? अगले कदम और संभावनाएँ

अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने Vantara के सैटेलाइट सेंटर की मंजूरी नहीं दी है, लेकिन रिपोर्ट्स संकेत देती हैं कि अगस्त‑सितंबर 2025 में फाउंडेशन इसपर कार्य करना शुरू कर सकता है। स्थानीय प्रशासन ने भी विरोध को शांत करने के लिये कई सत्र आयोजित किए हैं, और कुछ धार्मिक नेताओं ने आध्यात्मिक सलाह के रूप में "हाथी की शांति में ही समुदाय की शांति है" कहा है।

यदि Vantara की योजना सफल होती है, तो यह भारत में निजी‑सार्वजनिक वन्यजीव संरक्षण मॉडल के लिये एक नया मानक स्थापित कर सकता है। दूसरी ओर, यदि स्थानीय आक्रोश बढ़ता रहा, तो यह राजनीतिक दबाव बन सकता है, जिससे भविष्य में समान मामलों में अदालतें अधिक सावधानी बरत सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Mahadevi का पुनर्वास क्यों जरूरी माना गया?

HPC की रिपोर्टों ने दिखाया कि Mahadevi को लगातार दर्दनाक गठिया और चब्बियों की समस्याएं थीं, जो मठ में उचित उपचार नहीं दिला पा रहा था। Vantara ने उसे आधुनिक दवाइयों, फिजियोथेरेपी और सामाजिक संगति के साथ एक व्यापक पुनर्वास योजना प्रस्तावित की, जिससे उसकी दीर्घकालिक जीवन गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद थी।

शेट्टी जी ने PETA पर कौन-सी आरोप लगाए?

शेट्टी जी ने कहा कि PETA ने अंबानी के साथ मिलकर मंदिर हाथियों को निजी संस्थानों में ‘हड़प’ करने का षड्यंत्र रचा है। उन्होंने US‑स्थित PETA के लाइसेंस को रद्द करने की भी मांग की, क्योंकि उनका मानना था कि यह भारत के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर 2025 को कहा कि "भक्तों की भावनाएँ जानवर के स्वास्थ्य‑सुरक्षा अधिकार से ऊपर नहीं उठ सकतीं" और Vantara को Mahadevi के पुनर्वास के लिये अधिक उपयुक्त माना। कोर्ट ने प्रक्रिया के पालन को भी मान्यता दी।

Vantara का कोल्हापुर में नया केंद्र कब बनना है?

Vantara ने अगस्त 2025 में घोषणा की कि वह कोल्हापुर में पहला सैटेलाइट एलेफेंट रीहैबिलिटेशन सेंटर बनायेगा, जो विशेष रूप से Mahadevi के लिये समर्पित होगा। निर्माण कार्य 2025‑2026 के वित्तीय वर्ष में शुरू होने की संभावना है।

इस फैसले का धार्मिक समुदाय पर क्या असर पड़ेगा?

धार्मिक समुदाय में इस फैसले को दो भाग में बाँटा गया है: एक तरफ वे Mahadevi को सांस्कृतिक पहचान मानते हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग इसको जीव विज्ञान और अधिकारों के आधार पर समझते हैं। यदि Vantara का केंद्र सफल होता है और हाथी की देखभाल सुधरती है, तो भविष्य में कई मंदिरों को इसी तरह पुनर्वास मॉडल अपनाने की प्रवृत्ति बन सकती है।

6 टिप्पणि

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    Chandan kumar

    अक्तूबर 12, 2025 AT 02:55

    सच्ची बात तो ये है, हाथी को गाड़ीडे में भेजना गड़बड़ लगता है। वरना मंदिर में ही रहना सही रहेगा।

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    Swapnil Kapoor

    अक्तूबर 16, 2025 AT 01:22

    हाथी के स्वास्थ्य को देखना सबसे बड़ा ज़िम्मेदारी है, इसलिए Vantara जैसे सेंटर की सुविधा को कम नहीं आँकना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया, वह वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित था, और इसे लागू करना न्यायसंगत है। लेकिन स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक भावनाओं को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। इस द्विधा को सुलझाने के लिये पारदर्शी संवाद मंच बनाना आवश्यक है। Vantara को स्थानीय डॉक्टरों और पादरीयों को मिलाकर देखभाल योजना तैयार करनी चाहिए। अंत में, अगर हाथी की जीवन गुणवत्ता सुधरती है, तो यह कदम भारतीय वन्यजीव संरक्षण में एक मॉडल बन सकता है।

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    kuldeep singh

    अक्तूबर 19, 2025 AT 23:49

    इस मामले में तो राजनीति और धार्मिकता का टकराव साफ देखा जा रहा है। कुछ लोग हाथी को पवित्र मानते हैं, जबकि बाकी इसे एक जीव मानते हैं जो उपचार का हक़दार है। सार्वजनिक मंच पर शोर मचाने वाले अक्सर सच को ढंकते हैं। इस भ्रम को दूर करने के लिये तथ्यात्मक आँकड़े सामने लाने चाहिए। नहीं तो जनता के दिल में और भी खाई बन जाएगी।

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    Shweta Tiwari

    अक्तूबर 23, 2025 AT 22:15

    अध्यक्ष महोदय, प्रस्तुत मामलों की विस्तृत जांच करने के बाद स्पष्ट होता है कि महादेवी की शारीरिक स्थिती गंभीर है।
    हैडलाइन में कहा गया है कि उसकी गठिया और चब्बियों की समस्याएं लंबे समय से चिकित्सकीय देखभाल की माँग कर रही थीं।
    वर्तमान में मठ में उपलब्ध संसाधन उन जटिलताओं को संभालने में सक्षम नहीं दिखते।
    वहीं, Vantara द्वारा प्रस्तावित उच्च तकनीकी सुविधाएं जैसे फिजियोथेरेपी और दवाइयों की उपलब्धता एक वैध विकल्प प्रस्तुत करती है।
    हालाँकि, धार्मिक अनुष्ठानों में हाथी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए सामाजिक पहलू को भी गणना में लाना चाहिए।
    इस संदर्भ में, राष्ट्रीय कानूनी ढांचा और स्थानीय रीति-रिवाज दोनों का संतुलन आवश्यक है।
    पर्याप्त डेटा के अभाव में कोई भी निर्णय मात्र भावनात्मक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर होना चाहिए।
    हमारी टीम ने कई केस स्टडीज देखी हैं जहाँ पुनर्वास सफल रहा, जैसे कि गुजरात के कुछ रेज़र्व में।
    उनके अनुभव से पता चलता है कि अगर सही पोषण और सामाजिक समागम मिल जाये तो हाथी का जीवनमान काफी सुधार सकता है।
    फिर भी, जनता के साथ संवाद बनाना अनिवार्य है, नहीं तो विरोध केवल प्रदर्शन तक सीमित रह जाएगा।
    प्रकाशित रिपोर्टों में यह भी उल्लेख है कि Vantara ने स्थानीय समुदाय को साझेदार बनाने का प्रस्ताव रखा है।
    इस पहल से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं, जो सामाजिक स्वीकार्यता को बढ़ा सकता है।
    कुल मिलाकर, यह मामला केवल एक जीव की ख़ुशी या दुख नहीं, बल्कि धार्मिक, कानूनी और पर्यावरणीय संतुलन का परीक्षण है।
    अतः सरकार को एक पारदर्शी आयोग स्थापित करना चाहिए जो सभी पक्षों की सुनवाई कर सके।
    यह आयोग जब सत्यापित डेटा के साथ निर्णय लेगा, तभी इस विवाद को स्थायी रूप से सुलझाया जा सकेगा।

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    Harman Vartej

    अक्तूबर 27, 2025 AT 20:42

    समाज की शांति और हाथी की बेहतरी दोनों को ध्यान में रखकर सहयोगी समाधान अपनाएँ। ऐसा होगा तो सबको लाभ होगा।

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    Amar Rams

    अक्तूबर 31, 2025 AT 19:09

    वर्तमान पॉलिसी फ्रेमवर्क में एलेफेंट रीहैबिलिटेशन मॉड्यूल को स्ट्रैटेजिक इंटीग्रेशन आवश्यक है, अन्यथा ऑपरेशनल सस्टेनेबिलिटी जोखिमपूर्ण बन जाएगी। Vantara का प्रॉपोज़्ड सैटेलाइट सेंटर न केवल बायोलॉजिकल वैरिएबिलिटी को एन्हांस करेगा, बल्कि इकोसिस्टम सर्विसेज के रेज़िलिएंट मॉडेल को भी सपोर्ट करेगा। इस प्रकार, एक मल्टी-डिसिप्लिनरी अप्रोच अपनाकर ज्यूडिशियल प्रीसीडेंट को एन्हांस किया जा सकता है।

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