दिल्ली में गर्मी का कहर जारी, ठंडी हवाएं ला सकती हैं राहत

दिल्ली में गर्मी का कहर जारी, ठंडी हवाएं ला सकती हैं राहत अप्रैल, 9 2025

दिल्ली की भयंकर गर्मी

मार्च 24, 2025 को दिल्ली में तापमान 38.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले तीन दिनों से बढ़ती हुई गर्मी का सिलसिला जारी रखेगा। इस दौरान साफ आसमान और कम आर्द्रता के कारण बाहर की गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है, लेकिन पानी की कमी से बचाव किया जाना चाहिए।

हफ्ते के अंत तक, ठंडी हवाएं इस भारी गर्मी से थोड़ी राहत दिला सकती हैं। हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निकट भविष्य में बारिश की संभावना नहीं है।

अन्य क्षेत्रों की स्थिति

अन्य क्षेत्रों की स्थिति

राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तरी भारत के अन्य क्षेत्रों में सूखी और धूप वाली स्थिति रहने की संभावना है। वहीं, मुंबई में तापमान 29.76 डिग्री सेल्सियस के साथ वायु गुणवत्ता खराब दर्ज की गई है, जहां निवासी बाहर की गतिविधियों को सीमित रखने की सलाह दी गई है।

हिमाचल प्रदेश में मौसम काफी सुहाना है, जहां मध्यम तापमान के साथ साफ आसमान का आनंद लिया जा सकता है। सदूर प्रदेशों में बादल या बारिश की संभावना की खबरें आनी बाकी हैं, जिसके लिए स्थानीय रिपोर्ट्स की आवश्यकता होगी।

16 टिप्पणि

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    Abhishek Deshpande

    अप्रैल 11, 2025 AT 00:21

    ये गर्मी तो सिर्फ मौसम की नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों की असफलता का परिणाम है! जब तक शहरों में ग्रीन स्पेस कम होंगे, और HVAC सिस्टम्स को बेसिक जरूरत नहीं माना जाएगा, तब तक ये तापमान बढ़ता रहेगा। और हां, पानी की कमी का मुद्दा तो बस शुरुआत है।

    कल रात मैंने देखा, एक बस स्टॉप पर 8 लोग एक ही टैंकर से पानी भर रहे थे। और फिर भी, कुछ लोग कहते हैं कि 'ये तो नैचुरल साइकिल है'।

    हमारे पास डेटा है, टेक्नोलॉजी है, लेकिन नीतिगत इरादा नहीं। जब तक आप नौकरशाही के अंदर बैठे रहेंगे, तब तक इस गर्मी का कोई हल नहीं होगा।

    मैंने 2020 में दिल्ली के एक टाउनशिप में एक वॉटर रिसाइक्लिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया था-उसे बंद कर दिया गया। क्यों? क्योंकि 'इसका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट' नहीं था।

    ये नहीं कि हम गर्मी से नहीं लड़ सकते। हम लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

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    vikram yadav

    अप्रैल 12, 2025 AT 07:50

    दिल्ली की गर्मी तो हमेशा से रही है, पर अब वो बस और ज्यादा बर्बर हो गई है।

    मैं राजस्थान से हूँ, और वहाँ भी तापमान 45+ है, लेकिन वहाँ लोग जानते हैं कि कैसे जीना है। यहाँ तो बस एयरकूलर के लिए लड़ रहे हो।

    क्या आपने कभी देखा है कि एक गरीब मजदूर अपने बच्चे को बाहर बैठाकर ठंडी हवा का इंतजार कर रहा है? वो नहीं जानता कि ये गर्मी जल्दी नहीं जाएगी।

    मैंने एक बार एक छोटे से गाँव में एक जल निकासी प्रणाली बनाई थी-वहाँ भी गर्मी थी, लेकिन लोगों ने खुद बनाई थी। यहाँ तो सरकार भी नहीं चल रही।

    हमें बस ये याद रखना है: गर्मी का इलाज नहीं, बल्कि जीवन का नियम बदलना है।

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    Tamanna Tanni

    अप्रैल 12, 2025 AT 15:23
    बस थोड़ा पानी पिएं, बाहर न जाएं, और आराम करें। सब कुछ ठीक हो जाएगा।
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    Rosy Forte

    अप्रैल 12, 2025 AT 17:21

    अरे भाई, ये गर्मी तो एक एक्सिस ऑफ़ इंस्टिट्यूशनल कॉलैप्स का संकेत है। जब शहरी विकास की अवधारणा में जैविक एक्विलिब्रियम को नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो ये गर्मी एक अनिवार्य निष्कर्ष है।

    हमारे शहर एक बिना फेफड़ों वाले शरीर की तरह हैं-कोई सांस नहीं, कोई श्वसन नहीं, बस बेकाबू ऊर्जा का अपव्यय।

    मैंने 2023 में एक पेपर लिखा था: 'Urban Heat Islands: The Silent Genocide of the Working Class'-किसी ने उसे पढ़ा भी नहीं।

    आप सोचते हैं ठंडी हवाएं राहत देंगी? नहीं। वो तो बस एक ब्रेक हैं-एक ब्रेक जो आपको याद दिलाता है कि आप अभी भी इस नाटक के अंदर हैं।

    हिमाचल की सुहानी हवाएं? वो तो एक बाहरी बाहरी स्वप्न हैं-एक अर्थहीन भागने का नाम।

    हम लोग गर्मी के खिलाफ नहीं, बल्कि अपनी निष्क्रियता के खिलाफ लड़ रहे हैं।

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    Yogesh Dhakne

    अप्रैल 14, 2025 AT 10:24

    मैंने कल एक बाइक से दिल्ली से गुज़रते हुए देखा कि एक बूढ़े आदमी ने अपने बेटे को एक छोटा सा पंखा दिया था-बिना बिजली के।

    मैंने रुककर उन्हें पानी दिया। उन्होंने मुस्कुराकर कहा-'ये तो हमारा नियम है। जब गर्मी आए, तो धीरे चलो, ज्यादा न पीओ, और अपने आप को शांत रखो।'

    हम लोग बहुत ज्यादा जटिल बना रहे हैं।

    गर्मी के खिलाफ लड़ने के लिए बहुत बड़ा टेक्नोलॉजी नहीं चाहिए। बस थोड़ी सी समझ चाहिए।

    मैंने अपने घर पर एक छत पर बांस के छत्र लगा दिए। अब तापमान 5 डिग्री कम है।

    कोई नया नियम नहीं, बस पुरानी बुद्धि।

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    kuldeep pandey

    अप्रैल 14, 2025 AT 17:03

    अरे भाई, तुम सब ये बातें क्यों कर रहे हो? गर्मी तो बस एक नियम है।

    मैंने तो देखा है-एक आदमी ने अपने बच्चे को गर्मी में बाहर ले जाया, और वो बीमार पड़ गया। अब वो अस्पताल में है।

    क्या तुम सब इसका जवाब दे सकते हो?

    ये गर्मी तो अभी शुरू हुई है। अप्रैल में तो तापमान 48 तक जाएगा।

    और फिर भी तुम बस बातें कर रहे हो।

    हम लोग बस इंतजार कर रहे हैं-कि कोई बड़ा बदलाव आए।

    पर जब तक तुम नहीं बदलोगे, तब तक ये गर्मी तुम्हारे साथ रहेगी।

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    Hannah John

    अप्रैल 16, 2025 AT 13:14

    ये गर्मी सिर्फ मौसम की नहीं है। ये सारी बातें बस एक डिस्ट्रैक्शन हैं।

    क्या आपने कभी सोचा कि इस गर्मी के पीछे कोई चीज़ है? जैसे कि बारिश के लिए एक नया तरीका बनाया गया है? या फिर एयरकूलर के लिए एक नया ट्रांसमिशन सिस्टम?

    मैंने एक दोस्त को बताया था कि दिल्ली के ऊपर एक बड़ा बादल बन रहा है-लेकिन वो बादल बारिश नहीं कर रहा।

    क्यों?

    क्योंकि वो बादल एक एलियन सैटेलाइट का निशान है।

    और हाँ, ये गर्मी तो एक टेस्ट है। एक टेस्ट जिसमें हम सब फेल हो रहे हैं।

    मैंने एक बार एक आदमी को देखा था-वो अपने घर की छत पर बैठा था, और उसके हाथ में एक छोटा सा डिवाइस था।

    उसने मुझे बताया-'ये गर्मी को रोकने का तरीका है।'

    मैंने उसे नहीं पूछा।

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    dhananjay pagere

    अप्रैल 16, 2025 AT 15:55

    ये गर्मी एक बड़ा इकोनॉमिक इंडिकेटर है।

    जब तापमान बढ़ता है, तो बिजली की खपत बढ़ती है।

    जब बिजली की खपत बढ़ती है, तो ट्रांसमिशन लाइन्स फेल होती हैं।

    जब लाइन्स फेल होती हैं, तो बिजनेस बंद होता है।

    जब बिजनेस बंद होता है, तो बेरोजगारी बढ़ती है।

    जब बेरोजगारी बढ़ती है, तो अपराध बढ़ता है।

    और जब अपराध बढ़ता है, तो सरकार रिप्रेशन बढ़ाती है।

    ये एक सर्कल है।

    और ये सर्कल अभी भी घूम रहा है।

    मैंने एक डेटा एनालिसिस किया है-इस गर्मी के कारण दिल्ली में 12% अपराध बढ़ गया है।

    और अभी तक कोई नहीं बोला।

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    Shrikant Kakhandaki

    अप्रैल 16, 2025 AT 21:35

    ये गर्मी बिल्कुल भी नेचुरल नहीं है।

    मैंने एक बार एक वैज्ञानिक को बताया था कि दिल्ली में गर्मी बढ़ रही है।

    उसने मुझे बताया-'ये सब एक ट्रायल है।'

    मैंने उसे बताया-'तुम लोग इसे बढ़ा रहे हो।'

    उसने मुझे बताया-'तुम लोग इसे बढ़ा रहे हो।'

    और फिर मैंने देखा कि एक ट्रक बारिश के लिए जा रहा है।

    लेकिन वो बारिश नहीं कर रहा था।

    वो बस एक डिस्ट्रैक्शन था।

    मैंने एक बार एक बादल को देखा-वो बिल्कुल एक बड़ा बॉक्स था।

    मैंने उसे फोटो खींच लिया।

    अब वो फोटो मेरे फोन में है।

    और अगर तुम इसे देखोगे, तो तुम भी समझ जाओगे।

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    bharat varu

    अप्रैल 17, 2025 AT 16:57

    दोस्तों, गर्मी तो हर साल आती है। पर अब हम इसे बेहतर तरीके से जी सकते हैं।

    मैंने अपने घर पर एक छोटा सा बगीचा बनाया है-बांस और पत्तियों के साथ।

    अब घर का तापमान 3 डिग्री कम है।

    हम लोग अपने बच्चों को सिखाएं-पानी बचाओ, बाहर न जाओ, और जब भी लगे तो आराम करो।

    ये बहुत छोटी बातें हैं।

    लेकिन ये बहुत बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

    हमें बस एक दिन के लिए अपने आप को बदलना है।

    और फिर देखोगे-गर्मी का असर कम हो जाएगा।

    हम सब एक साथ ये कर सकते हैं।

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    Vijayan Jacob

    अप्रैल 18, 2025 AT 11:51

    तुम सब ये बातें क्यों कर रहे हो?

    गर्मी तो हमेशा से रही है।

    पर अब तुम इसे एक बड़ा मुद्दा बना रहे हो।

    मैंने देखा है-एक आदमी ने अपने बच्चे को बाहर ले जाया।

    और वो बीमार हो गया।

    तुम सब इसका जवाब दे सकते हो?

    ये गर्मी तो बस एक बात है।

    तुम इसे बड़ा बना रहे हो।

    और फिर भी, कोई नहीं बोल रहा।

    मैं बस इतना कहना चाहता हूँ-

    अपने आप को बदलो।

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    Saachi Sharma

    अप्रैल 19, 2025 AT 04:50
    गर्मी नहीं, बस बातें।
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    shubham pawar

    अप्रैल 20, 2025 AT 01:37

    मैंने एक बार एक बादल को देखा।

    वो बिल्कुल एक बड़ा बॉक्स था।

    और उसमें एक छोटा सा लाल रोशनी थी।

    मैंने उसे फोटो खींच लिया।

    और फिर मैंने एक आदमी को देखा-वो अपने हाथ में एक छोटा सा डिवाइस लिए खड़ा था।

    उसने मुझे बताया-'ये गर्मी को रोकने का तरीका है।'

    मैंने उसे नहीं पूछा।

    लेकिन अब मैं जानता हूँ।

    ये गर्मी एक टेस्ट है।

    और हम सब फेल हो रहे हैं।

    और अगर तुम इस फोटो को देखोगे, तो तुम भी समझ जाओगे।

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    Nitin Srivastava

    अप्रैल 21, 2025 AT 13:01

    ये गर्मी एक एस्थेटिक फेनोमिनॉन है।

    एक निर्माण का उत्पाद, जिसे हमने अपने शहरी अनुभव के अंतर्गत निर्मित किया है।

    यहाँ तक कि बारिश की अनुपस्थिति भी एक डिज़ाइन चॉइस है।

    हम लोग बस एक विज्ञान के बाहर बैठे हैं-एक विज्ञान जिसे हमने अपनी अवहेलना से बनाया है।

    हिमाचल की सुहानी हवाएं? वो तो एक एस्थेटिक आदर्श हैं।

    एक अर्थहीन भागने का नाम।

    और हाँ, पानी की कमी? वो एक लॉजिस्टिक फेलियर है।

    हम लोग बस एक बड़े सिस्टम के भीतर घूम रहे हैं।

    और ये गर्मी-वो हमारे अंदर की निष्क्रियता का आईना है।

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    Nilisha Shah

    अप्रैल 21, 2025 AT 18:52

    मैंने दिल्ली के एक गाँव में एक छोटा सा पानी का प्रोजेक्ट देखा था।

    वहाँ लोग बारिश के पानी को जमा करते थे-एक छोटी सी टंकी में।

    और फिर उसे धीरे-धीरे इस्तेमाल करते थे।

    उन्होंने बिजली का इस्तेमाल नहीं किया।

    उन्होंने एयरकूलर नहीं लगाया।

    लेकिन वो गर्मी से बच गए।

    हम लोग इतने जटिल बन गए हैं कि हम भूल गए कि बुद्धि क्या है।

    हम बस एक नया तरीका ढूंढ रहे हैं।

    पर वो तरीका तो हमारे आसपास ही है।

    हमें बस इतना करना है-सुनना।

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    Kaviya A

    अप्रैल 22, 2025 AT 11:22

    मैंने एक बार देखा था-एक बच्चे ने अपने घर की छत पर एक पंखा लगा दिया।

    और फिर उसने अपने बाप को बताया-'अब हम ठंडे रहेंगे।'

    और वो बच्चा था बस 7 साल का।

    मैंने उसे देखा।

    और मैंने रो दिया।

    हम लोग बस बातें कर रहे हैं।

    लेकिन वो बच्चा ने काम कर दिया।

    हम लोग बस बातें कर रहे हैं।

    और वो बच्चा ने काम कर दिया।

    और अब मैं भी करूंगा।

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