7-5-3-1 SIP नियम: 7 साल, 5 थीम, 3 भावनाएँ, 1 सालाना बढ़ोतरी से 10 करोड़ की पूँजी

7-5-3-1 SIP नियम: 7 साल, 5 थीम, 3 भावनाएँ, 1 सालाना बढ़ोतरी से 10 करोड़ की पूँजी अक्तू॰, 5 2025

जब श्री अमित वर्मा, सहयोगी वित्तीय सलाहकार अवोलेंस इन्वेस्टमेंट्स ने 7-5-3-1 SIP नियम का विवरण दिया, तो कई छोटे‑बड़े निवेशकों ने तुरंत जुड़ाव महसूस किया। इस नियम का मुख्य उद्देश्य है‑समय‑समय पर निवेश को व्यवस्थित करना, भावनात्मक उतार‑चढ़ाव को मात देना और वार्षिक कदम‑बढ़ाव के जरिए दीर्घकालिक सम्पदा बनाना। इस नई रणनीति को इक्विटी म्यूचुअल फंड के साथ सात साल के न्यूनतम निवेश‑होराइज़न में बंधा गया है, जिससे कंपाउंडिंग का पूरा फायदा मिल सके।

इतिहास और पृष्ठभूमि: 7‑साल का टाइम‑होराइज़न क्यों?

सिंपल लेकिन गहरी बात यह है कि बाजार का ऐतिहासिक डेटा लगातार दिखाता है कि बाजार की अस्थिरता 7‑साल के चक्र में संतुलित हो जाती है। 1990‑1996, 2003‑2009 और 2014‑2020 जैसे सात‑साल के रोलिंग विंडो का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इस अवधि में इक्विटी रिटर्न अक्सर 10‑12% की औसत वार्षिक गति हासिल कर लेते हैं, भले ही मध्य में दो‑तीन साल की गिरावट रहे। वही अवधि नहीं होती अगर आपको केवल 3‑5 साल का दायरा चुनना पड़े। इसलिए नियम की पहली पाली ‘7’ निवेशकों को न्यूनतम सात‑साल के लिए इक्विटी SIP रखने की सलाह देती है।

पंच‑विवर्तन: 5 कोर थीम में विविधीकरण

दूसरा कदम ‘5’ है, जो पोर्टफ़ोलियो को पाँच प्रमुख थीम में बाँटता है – बड़े‑कैप, वैल्यू, ग्रॉथ‑ऐट‑रीज़नेबल‑प्राइस (GARP), मिड‑/स्मॉल‑कैप और अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोज़र। ये पाँच थीम निवेश जोखिम को बिखेरती हैं, जैसे कि बरसात में कई छतरियों के नीचे खड़ा होना। उदाहरण स्वरूप, 2023 में बड़े‑कैप फ़ंड ने 15% रिटर्न दिया, जबकि मिड‑कैप ने 22% रिटर्न दिया, और अंतर्राष्ट्रीय फंड ने 8% रिटर्न – इन सभी को मिलाकर कुल जोखिम‑समायोजित रिटर्न स्थिर रहता है।

मन की लड़ाई: 3 भावनात्मक बाधाएँ

तीसरा हिस्सा ‘3’ निवेशकों की मनोवैज्ञानिक चुनौतियों पर फोकस करता है: निराशा, irritation और panic। इन तीन भावनाओं का असर तब दिखता है जब पोर्टफ़ोलियो रिटर्न 7‑10% के बीच हो, फिर 0‑7% तक गिर जाए, या नकारात्मक हो जाए। डॉ. संदीप कुमार, वित्तीय प्रोफ़ेसर इंडियन इकोनॉमिक्स इन्स्टिट्यूट के अनुसार, इस चरण में निवेशक अक्सर फिक्स्ड डिपॉज़िट से तुलना करके अपना SIP रोक देते हैं। नियम का तर्क है – ‘पैनिक नहीं, धीरज रखो’ – क्योंकि मार्केट की उलट‑फेर को अवसर में बदलने से दीर्घकालिक पूँजी में इजाफा होता है।

एक कदम‑बढ़ोतरी: वार्षिक 1% या अधिक स्टे‑अप

चौथा घटक ‘1’ पाँच‑साल के बाद हर साल SIP राशि को कम से कम 10‑15% बढ़ाने की सलाह देता है। यह ‘स्टे‑अप’ केवल इनफ्लेशन को नहीं, बल्कि बढ़ते वित्तीय लक्ष्य को भी कवर करता है। साधारण गणना से पता चलता है कि यदि आप ₹1,00,000 की मासिक SIP ₹12% वार्षिक रिटर्न पर शुरू करते हैं, तो 15 साल में आपका कोरपस लगभग ₹10 करोड़ तक पहुँच सकता है, बशर्ते आप प्रत्येक साल राशि में 10% की बढ़ोतरी करें।

व्यावहारिक कदम और मॉनीटरिंग

व्यावहारिक कदम और मॉनीटरिंग

  • त्रैमासिक पोर्टफ़ोलियो रिव्यू: फंड की बेंचमार्क के साथ तुलना, कम प्रदर्शन वाली फंड को बदलना।
  • वार्षिक री‑बैलेंसिंग: जोखिम प्रोफ़ाइल बदलने पर एसेट एलोकेशन को पुनः सेट करना।
  • डिविडेंड पुनर्निवेश: डिविडेंड को सीधे फंड में पुनः निवेश कर रिटर्न को बढ़ाना।
  • बाजार‑गर्भी अतिरिक्त निवेश: जब सूचकांक 2% गिरता है तो 3× SIP, 5% गिरावट पर 6× SIP जोड़ना।

इन बिंदुओं को अपनाने वाले निवेशकों ने सुपरफ़्लॉस निवेश सम्मेलन 2025मुंबई में बताया कि उन्होंने पिछले पाँच साल में अपने पोर्टफ़ोलियो को केवल 0.5% से बढ़ाया, जबकि औसत बाजार रिटर्न 8% था।

भविष्य की दिशा: क्या 7‑5‑3‑1 टिकेगा?

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जैसे-जैसे युवा वर्ग डिजिटल‑फाइनेंस को अपना रहा है, ऐसे स्पष्ट‑फ़्रेमवर्क वाले नियम की माँग बढ़ेगी। “सुरक्षा और रिटर्न दोनों को संतुलित करने वाला एक ठोस प्लान चाहिए,” श्री अमित वर्मा ने कहा। इस नियम में ‘संशोधित डाइवर्सिफिकेशन’ और ‘भावनात्मक स्थिरता’ दो मुख्य स्तम्भ हैं, जो भविष्य में भी निवेशकों को आकर्षित करेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

7‑5‑3‑1 SIP नियम का मुख्य लाभ क्या है?

यह नियम समय‑होराइज़न, विविधीकरण, भावनात्मक स्थिरता और वार्षिक स्टे‑अप को एक फ्रेमवर्क में संकलित करता है, जिससे कंपाउंडिंग का पूरा लाभ मिलता है और बाजार‑भ्रम को न्यूनतम किया जाता है।

क्या 7 साल का निवेश‑होराइज़न सभी निवेशकों के लिये उपयुक्त है?

सामान्य तौर पर, सात साल का न्यूनतम अवधि बाजार की अस्थिरता को संतुलित करती है, परन्तु उच्च जोखिम सहनशीलता वाले निवेशकों को अधिक लचीलापन मिल सकता है। व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्य के अनुसार समायोजन आवश्यक है।

किस प्रकार की फंड थीम में निवेश करना चाहिए?

बड़े‑कैप, वैल्यू, GARP, मिड‑/स्मॉल‑कैप और अंतर्राष्ट्रीय फंड को समान अनुपात में रखना ठीक रहता है। यह विविधता बड़े नुकसान को रोकती है और संभावित रिटर्न को बढ़ावा देती है।

वार्षिक SIP स्टे‑अप कितना होना चाहिए?

अधिकांश वित्तीय योजनाएँ 10‑15% वार्षिक वृद्धि का सुझाव देती हैं। यह राशि आमदनी की बढ़त और मुद्रास्फीति को कवर करती है, जिससे लक्ष्य पूँजी तक पहुँच आसान होती है।

बाजार गिरावट के दौरान अतिरिक्त निवेश कैसे करें?

नियम के ‘बाजार‑गर्भी अतिरिक्त निवेश’ भाग के अनुसार, जब बाजार 2% घटता है तो सामान्य SIP का 3 गुना, 5% गिरावट पर 6 गुना निवेश करें। यह रणनीति कम कीमत पर अधिक यूनिट्स खरीदने का लाभ देती है।

3 टिप्पणि

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    Ayan Kumar

    अक्तूबर 5, 2025 AT 21:32

    भाई, 7‑5‑3‑1 नियम सुनते‑ही दिल धड़क गया!

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    Nitin Jadvav

    अक्तूबर 14, 2025 AT 10:20

    वाह, अब निवेशकों को सस्पेंस थ्रिलर की तरह हर महीने पैसे निकालना नहीं पड़ेगा, बस हर साल एक छोटा‑सा इन्स्पेक्ट इन्क्रीज। अगर आप सालाना 10 % बढ़ाते रहोगे तो फिर बचत गिनती में दिमाग़ का ढीला सर्कस नहीं रह जाएगा।

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    Arun kumar Chinnadhurai

    अक्तूबर 22, 2025 AT 23:08

    यह नियम निवेशकों को सात साल की लंबी यात्रा के लिए तैयार करता है।
    सात साल का हॉराइज़न बाजार की चक्रात्मक अस्थिरता को संतुलित करता है।
    ऐतिहासिक डेटा दिखाता है कि इस अवधि में औसत रिटर्न 10‑12 % रहता है।
    इसलिए शुरुआती निवेशकों को शुरुआती हिचकिचाहट से बाहर निकलना आसान होता है।
    पाँच कोर थीम में पोर्टफ़ोलियो को बांटने से जोखिम बिखर जाता है।
    बड़े‑कैप, वैल्यू, गॉर्ड, मिड‑कैप और अंतर्राष्ट्रीय फंड सभी को समान अनुपात में रखना चाहिए।
    इस विविधीकरण से एक फंड की गिरावट दूसरी फंड की उछाल से पूरित हो जाती है।
    मन की तीन भावनात्मक बाधाएँ-निराशा, irritation और panic-को पहचानना ही पहला कदम है।
    जब बाजार 5 % गिरता है तो अक्सर निवेशक भावनात्मक रूप से बेचैन हो जाता है।
    लेकिन इस नियम के तहत आप कोमलता से याद रख सकते हैं कि यह ही समय है अतिरिक्त इकाइयाँ खरीदने का।
    वार्षिक 1 % या अधिक स्टे‑अप का मतलब है कि आप अपने लक्ष्य को इनफ़्लेशन से आगे रखेंगे।
    यदि आप हर साल 10 % SIP राशि बढ़ाते हैं तो 15 साल में करोड़ों तक पहुँच सकते हैं।
    यह गणना सरल है: शुरुआती ₹1 लाख, 12 % वार्षिक रिटर्न, और 10 % वार्षिक बढ़ोतरी।
    कंपाउंड इंटरेस्ट का जादू यहाँ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
    यह योजना न केवल आपके पैसे को बचाती है बल्कि आपको वित्तीय अनुशासन भी सिखाती है।
    अंत में, अगर आप निरंतर इस फ्रेमवर्क का पालन करेंगे तो 10 करोड़ की पूँजी एक वास्तविक लक्ष्य बन जाएगा।

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