सीकर‑जयपुर में दो सामूहिक आत्महत्या: यूट्यूबर पिंकी और रिटायर बैंककर्मी का दुखद अंत

राजस्थान में शनिवार, 11 अक्टूबर 2025 को दो अलग‑अलग शहरों में हुई सामूहिक आत्महत्या ने प्रदेश को हिला कर रख दिया। किरण देवी, उर्फ पिंकी चौधरी, और उनके चार बच्चों के साथ-साथ जयपुर में रिटायर्ड बैंककर्मी रूपेंद्र शर्मा के परिवार ने भी जीवन को अलविदा कहा।
पृष्ठभूमि और सामाजिक संदर्भ
पिछले कुछ वर्षों में भारत में पारिवारिक तनाव और आर्थिक दबाव के कारण आत्महत्या के मामलों में हल्का‑उछाल देखा गया है, खासकर छोटे शहरों में जहाँ सामाजिक समर्थन सीमित रहता है। इस प्रवृत्ति को समझने के लिए पहले के आँकड़े जरूरी हैं: 2023‑24 में राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या के 13% मामलों में परिवार की आर्थिक कठिनाइयाँ मुख्य कारण बताई गईं। राजस्थान में 2024 में 1,215 आत्महत्या दर्ज हुईं, जिनमें महिलाओं और बच्चों के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही थी।
सीकर में हुई त्रासद घटना
सीकर, सीकर के अनिरुद्ध रेजिडेंसी, पालवास रोड पर स्थित फ्लैट नंबर A‑210 में सीकर में सामूहिक आत्महत्यासीकर, राजस्थान के संकेत मिलने पर पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया।
फ्लैट के अंदर तीव्र बदबू और धुएँ के कारण राजस्थान पुलिस को अगरबत्ती और एयर‑फ़्रेशनर का प्रयोग करना पड़ा। भीतर चार बच्चों—सुमित (15), आयुष (12), अवनीश (8) और स्नेहा (10)—और उनकी माँ के सड़े‑गले शव मिले।
जाँच में मिला कि घर में 10 जहर के पैकेट रखे थे, जिनमें से 8 का उपयोग किया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि किरण देवी ने बच्चों को रोटियों में जहर मिलाकर खिलाया और फिर स्वयं जहर ले लीं। पुलिस ने अनुमान लगाया कि घटना 30 सितंबर या 1 अक्टूबर को घटी होगी, क्योंकि शव कई दिनों से फ्लैट में पड़े थे।
किरण की व्यक्तिगत पृष्ठभूमि जटिल थी। वह एक लोकप्रिय यूट्यूबर और सोशल‑मीडिया इंफ्लुएंसर थीं, लेकिन 2019 में अपने पहले पति नेमीचंद से अलग रह गई थीं। इसके बाद वह शैलेश (लीव‑इन पार्टनर) के साथ रह रही थीं। परजनों की अनुपस्थिति के कारण शवों का पोस्ट‑मॉर्टम अभी तक नहीं हो पाया है; नेमीचंद और शैलेश दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
जयपुर में हुई दो‑परिवारीय आत्महत्या
इसी दिन जयपुर, जयपुर के करणी विहार थाना क्षेत्र में रिटायर्ड बैंककर्मी रूपेंद्र शर्मा, उनकी पत्नी (नाम सार्वजनिक नहीं) और उनका बेटा (नाम सार्वजनिक नहीं) आत्महत्या के कगार पर पहुँच गए। मकान मालिक ने देखा कि सुबह 8 बजे तक दरवाजा बंद रहा, इसलिए पुलिस को सूचित किया।
ताला तोड़ने पर हॉल, बेडरूम और गेट के पास अलग‑अलग शव मिले। हॉल में रूपेंद्र का शरीर, बेडरूम में उनकी पत्नी और गेट के पास बेटे का शरीर पाया गया। टेबल पर अंग्रेजी में लिखा एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें एक परिचित पर लगातार परेशान करने का आरोप किया गया था। इस नोट के आधार पर परिवार ने FIR दर्ज करवाई।
पुलिस ने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) को बुलाकर शव परीक्षा करवाई और नोट का फॉरेंसिक विश्लेषण शुरू किया। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि नोट में उल्लिखित परिचित कौन है और किस तरह का दबाव था।

जांच के मुख्य बिंदु और संभावित कारण
- सीकर में जहर के पैकेट की खरीदारी के रिकॉर्ड की जाँच जारी है।
- किरण के पूर्व पति नेमीचंद और लीव‑इन पार्टनर शैलेश के आर्थिक और सामाजिक स्तिथि की तपास की जाएगी।
- जयपुर में सुसाइड नोट के लेखक की पहचान के लिये मोबाइल डेटा ब्रोकर की मदद ली जा रही है।
- दोनों मामलों में आर्थिक तनाव, सामाजिक अलगाव और मानसिक स्वास्थ्य की कमी को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
समुदाय और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ
स्थानीय लोग दोनों शहरों में शोक मंडलों का आयोजन कर रहे हैं। सीकर के पड़ोसियों ने कहा, “हम सब परेशान हैं, लेकिन इस तरह का कदम सोच भी नहीं सकते थे।” जयपुर के अनेक सामाजिक कार्यकर्ता इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच अब‑तक असमान है।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. रश्मि मुखर्जी, ने कहा, “राजस्थान में मिडिल‑क्लास परिवार अक्सर आर्थिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच फँसे होते हैं। ऐसी स्थितियों में परिवार के भीतर कम्युनिकेशन टूटने से त्रासद परिणाम निकल सकते हैं।” उन्होंने सरकार को ग्रामीण इलाकों में काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने की अपील की।

भविष्य की कार्रवाई और नीतिगत संकेत
राज्य पुलिस ने दोनो घटनाओं पर विशेष जांच टीम गठित की है। सीकर में जहर के सोर्स ट्रेस करने के लिये फूड साइंस विभाग को भी शामिल किया गया है। जयपुर में सुसाइड नोट की फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दोनों मामलों में पुलिस ने वार्षिक आत्महत्या रोकथाम कार्यक्रम को तेज करने का वादा किया है।
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि 2025‑26 बजट में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त ₹150 करोड़ आवंटित किए जाएंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्पलाइन्स और काउंसलिंग सेंटर खोलने में मदद मिलेगी।
सामाजिक असर और आगे की निगरानी
इन दो घटनाओं ने राजस्थान में आत्महत्या की सामाजिक ल कस का पुनर्मुल्यांकन कर दिया है। विशेषज्ञों की राय है कि अगर परिवारिक तनाव को कम करने के लिये आर्थिक सहायता, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाई नहीं गई तो ऐसे केस दोहराए जा सकते हैं। सोशल मीडिया पर भी इन घटनाओं को लेकर #StopSuicide #MentalHealthAwareness जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
सामान्य प्रश्न
सीकर में हुई आत्महत्या के पीछे मुख्य कारण क्या माना जा रहा है?
पुलिस ने बताया कि जहर के पैकेट की बड़ी मात्रा, आर्थिक दबाव और परिवार में सामाजिक अलगाव मुख्य कारण हो सकते हैं। जांच में किरण के पूर्व पति और लीव‑इन पार्टनर की आर्थिक स्थिति को भी scrutinize किया जा रहा है।
जयपुर में सुसाइड नोट में उल्लिखित परिचित कौन है?
वर्तमान में नोट के लेखक की पहचान के लिये मोबाइल डेटा और कॉल रेकॉर्ड की जांच चल रही है। पुलिस ने कहा कि यदि परिचित का नाम पुष्टि हो गया तो वैध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या कदम उठाए हैं?
2025‑26 बजट में मानस‑स्वास्थ्य के लिये अतिरिक्त ₹150 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्पलाइन, काउंसलिंग सेंटर्स और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
क्या इस तरह की सामूहिक आत्महत्या के मामलों में कोई राष्ट्रीय डेटा उपलब्ध है?
राष्ट्रीय स्तर पर 2023‑24 में 13% आत्महत्या के मामलों में वित्तीय या पारिवारिक तनाव प्रमुख कारण बताये गये हैं। राजस्थान में 2024 में 1,215 मामलों की रिपोर्ट है, जिसमें महिलाओं एवं बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
समुदाय एवं स्थानीय प्रशासन की भूमिका क्या है?
स्थानीय प्रशासन ने शोक मंडलों का आयोजन किया है और पुलिस ने विशेष जांच टीमें गठित की हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये कार्यशालाओं का प्रस्ताव रख रहे हैं।
Rin Maeyashiki
अक्तूबर 12, 2025 AT 20:57भाइयों और बहनों, इस दुखद घटना ने हम सबको गहराई से छू लिया है।
जब आर्थिक तनाव और सामाजिक अलगाव मिलते हैं, तो जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है।
हमें तत्काल सामुदायिक समर्थन तंत्र स्थापित करने की जरूरत है।
रोज़मर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है।
परिवारों को खुलकर बात करने के लिए सुरक्षित स्थल चाहिए।
सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में काउंसलिंग सेंटर बढ़ाने चाहिए।
जिन लोगों को लग रहा है कि कोई नहीं सुन रहा, उन्हें सुनना हमारा कर्तव्य है।
स्थानीय NGOs को मदद के लिए फंडिंग मिलनी चाहिए।
सामाजिक नेटवर्क को सचेत करना चाहिए कि मदद की पेशकश कब और कैसे करें।
हम सभी को मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए जहाँ तनाव साझा किया जा सके।
व्यापारियों और नियोक्ताओं को कर्मचारियों की मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
स्कूलों में भावनात्मक शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए।
महिलाओं को विशेष सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करना चाहिए।
बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए परिवारिक संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हेल्पलाइन नंबर आसानी से उपलब्ध कराना चाहिए।
समाज को सहयोगी बनाकर हम इस तरह की त्रासदी को रोक सकते हैं।
आइए हम सब मिलकर इस दर्द को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाएँ।