सेन्सेक्स के बड़े गिरावट के पीछे के चार कारण और निवेशकों को क्या करना चाहिए

सेन्सेक्स के बड़े गिरावट के पीछे के चार कारण और निवेशकों को क्या करना चाहिए सित॰, 26 2025

अगस्त के मध्य से सितंबर के मध्य तक भारतीय शेयर बाजार में ऐसा झटका आया कि कई लाख करोड़ की बाजार पूंजी एक ही हफ्ते में घट गई। इस दौरान सेन्सेक्स ने लगातार कई सौ पॉइंट्स खोए और निफ्टी 24,700‑25,100 के तकनीकी समर्थन स्तर से नीचे गिरा। क्या हुआ, और इस उलटफेर को देखते हुए हमें कैसे आगे बढ़ना चाहिए, आइए विस्तार से देखें।

गिरावट के चार प्रमुख कारण

ज्यादा समय न लगाते हुए हम चार सबसे महत्वपूर्ण कारणों को बिंदु‑बिंदु समझते हैं जो इस बाजार धक्का के पीछे थे:

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का निकास: साल की शुरुआत से विदेशी निवेशकों ने लगभग 13‑15 बिलियन डॉलर (लगभग 1.1‑1.2 लाख करोड़ रुपये) की क्रमिक निकासी की। दो सत्रों में ही 9,000 करोड़ रुपये का बड़ा बहिर्वाह हुआ, जिसका कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी और भारतीय स्टॉक्स के मूल्य अधिकतम पर होना था।
  • रुपये की तेज गिरावट: डॉलर के मुकाबले रुपये ने 88 रुपये‑डॉलर की सीमा पार कर दी। महँगे डॉलर और स्थिर महंगाई ने RBI को तेज़ी से नीतियों को ढीला करने से रोका, जिससे बाजार में भारी अनिश्चितता पैदा हुई और कई ट्रेडर्स ने अपने पोजीशन बहुत जल्दी बंद कर दिए।
  • अत्यधिक मूल्यांकन: निफ्टी 50 का PE रेशियो ऐतिहासिक स्तर से ऊपर था। यद्यपि रिटेल के बड़े पैमाने पर निवेश ने बाजार को समर्थन दिया, लेकिन उच्च मूल्यांकन ने किसी भी नकारात्मक खबर पर जल्दी गिरावट को आमंत्रित किया।
  • अमेरिकी व्यापार नीति की अनिश्चितता: ट्रम्प प्रशासन की H‑1B वीज़ा नीति और अमेरिका‑चीन तनाव ने वैश्विक बाजारों को हिलाया। विशेषकर IT सेक्टर को नुकसान पहुँचा, क्योंकि भारतीय IT कंपनियों के बहुत सारे कर्मचारियों की भर्ती अमेरिकी वीज़ा पर निर्भर थी।
निवेशकों के लिए रणनीति और अगले कदम

निवेशकों के लिए रणनीति और अगले कदम

बाजार की अस्थिरता को देखते हुए विशेषज्ञों ने कुछ उपयोगी टिप्स दिए हैं, जिन्हें अपनाकर हम नुकसान कम कर सकते हैं और बेहतर अवसर भी पकड़ सकते हैं:

  1. गुणवत्ता वाले स्टॉक्स में फोकस करें: लंबे समय तक रहने वाले निवेशकों को ऐसे कंपनियों को चुनना चाहिए जिनकी बुनियादी ताकत मजबूत हो – जैसे ठोस आय, कम ऋण और धीरज वाली व्यापार मॉडल।
  2. लीवरेज और पोजीशन साइजिंग पर सतर्क रहें: ट्रेडर्स को अत्यधिक मार्केट में मार्जिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी गिरावट भी बड़े घाटे का कारण बन सकती है।
  3. सेक्टोरल अवसरों पर नज़र रखें: ऑटोमोबाइल सेक्टर को GST में 5‑10% की राहत मिली है, जो पहली बार कार खरीदने वाले और प्रीमियम मॉडल की मांग को बढ़ा सकती है। RBI के ऑटो लोन के जोखिम वजन को घटाने की सम्भावना भी इस सेक्टर को बूस्ट कर सकती है।
  4. विविधीकरण को प्राथमिकता दें: इक्विटी, डेब्ट, गोल्ड और म्यूचुअल फंड्स के मिश्रण से पोर्टफोलियो को स्थिर रखा जा सकता है, खासकर जब बाजार में निरंतर उतार‑चढ़ाव हो।
  5. डिफ़ॉल्ट फंड्स और रिटेल इनफ़्लो को नजरअंदाज न करें: घरेलू निवेशकों के लगातार पूंजी प्रवाह और रिटेल की बढ़ती भागीदारी मध्यम अवधि में बाजार का आधार बना रहेगी, जिससे धीरज वाले निवेशकों को अपेक्षाकृत सुरक्षित रिटर्न मिल सकता है।

साथ ही, निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि बाजार में हर गिरावट के पीछे सच्ची पूँजी की संभावनाएँ छिपी होती हैं। सही चयन और धीरज के साथ, इन धक्कों से सीख लेकर भविष्य में बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।