निक्केई 225 में 8% गिरावट, एशिया के बाजारों में उथल‑पुथल: ट्रम्प का टैरिफ शॉक
अक्तू॰, 6 2025
7 अप्रैल 2025 को एशियाई शेयर बाजारों में आज तक की सबसे तेज गिरावट देखी गई, जब डोनाल्ड ट्रम्प, संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति ने अचानक चीनी वस्तुओं पर 104%‑145% के टैरिफ की घोषणा की। इस कदम ने निक्केई 225 इंडेक्स को एक ही सत्र में 7.83% गिरने पर मजबूर कर दिया, जिससे जापान की स्टॉक मार्केट जल्दी‑जल्दी बेयर मार्केट में चली गई।
विपरीत टैरिफ और त्वरित बाजार प्रतिक्रिया
ट्रम्प की घोषणा के कुछ घंटों बाद, चीन ने 34% के प्रतिरोधी टैरिफ लागू कर दिया। दोनों देशों के बीच यह नया टैरिफ टकराव तुरंत ही निवेशकों में डर पैदा कर गया, जिससे एशिया‑पैसिफिक के कई प्रमुख सूचकांकों में एक साथ गिरावट आई।
जापान में, टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज ने सुबह 8:45 बजे सर्किट ब्रेकर सक्रिय कर दिया, जबकि निक्केई फ्यूचर्स ने -8% की सीमा को छू ली थी। दस मिनट की रोक के बाद, ट्रेडिंग फिर से शुरू हुई, पर अब कीमतों को -12% तक गिरने की अनुमति थी। इस कदम ने शुरुआती पैनिक को कुछ हद तक धीमा किया, पर फिर भी बाजार कुल मिलाकर 6‑7% नीचे बंद हुआ।
एशिया के बाकी बाजारों में झटके
हांग कांग के हैंग सेंग सूचकांक ने सत्र की शुरुआत में 9% से अधिक गिरते हुए अंत में 12.5% की बड़ी हानि दर्ज की। शंघाई में शेनझेन कॉम्पोज़िट 6.7% नीचे रहा, जबकि ब्लू‑चिप CSI300 ने 7.5% की गिरावट सही। कोरिया की KOSPI और ताइवान की TAIEX दोनों ने भी सर्किट ब्रेकर को ट्रिगर किया, जिससे ट्रेडिंग में अस्थायी अंतरा आया।
इंडिया में, BSE सेंसेक्स 2,226.79 अंक घटकर 73,137.90 पर बंद हुआ, और निफ्टी 50 ने 742.85 अंक खो दिया। इस एक‑दिन के नुकसान से लगभग ₹14 लाख करोड़ की संपत्ति मिट गई, जबकि India VIX ने 56% तक उछाल दर्ज किया, जिससे बाजार में भय की भावना स्पष्ट थी।
वैश्विक बाजारों पर विस्तृत प्रभाव
अमेरिका में भी स्थिति उथल‑पुथल भरी थी; डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरीज ने दो दिनों में 4,000 प्वाइंट से अधिक गिरावट देखी, जो 2020 की कोविड‑19 दुर्घटना के बाद की सबसे तेज गिरावट थी। S&P 500 और Nasdaq ने क्रमशः 6‑9% की गिरावट दर्ज की। यूरोप में, जर्मनी का DAX 5.4% नीचे गया, जबकि फ्रांस और यूके के बेंचमार्क भी समान रूप से चोटिल हुए।
इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि आज के वैश्विक वित्तीय सिस्टम कितने परस्पर जुड़े हुए हैं। एक ही टैरिफ घोषणा ने एक साथ चार महाद्वीपों के शेयर बाजारों को झकझोर दिया।
सरकारी एवं विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ
दुर्भाग्यवश, कई देशों के वित्त मंत्रियों ने तुरंत इस बात पर चेतावनी दी कि दीर्घकालिक टैरिफ स्पार्क अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। बैंक ऑफ ग्रीस के गवर्नर ने कहा कि यूरोजोन की वृद्धि में 0.5‑1% तक की गिरावट हो सकती है। दक्षिण कोरिया के व्यापार मंत्री ने यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जेम्सन ग्रियर के साथ टैरिफ कम करने की वार्ता का इशारा किया।
भविष्य के विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह की बाजार उछालें अक्सर मौद्रिक नीति में बदलाव, निर्यात में गिरावट और घरेलू मांग की मंदी जैसी मौलिक समस्याओं को उजागर करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सर्किट ब्रेकर का प्रयोग अस्थायी राहत देता है, पर दीर्घकालिक असर को रोक नहीं पाता।
आगे क्या संभावित होगा?
अभी के आंकड़ों से लगता है कि टैरिफ तनाव के हल होने में कई महीने लग सकते हैं। यदि यू.एस. और चीन के बीच वार्ता टकटकी नहीं मारे, तो एशिया‑पैसिफिक के स्टॉक सूचकांक आगे भी अस्थिर रह सकते हैं। निवेशकों को अब अपने पोर्टफोलियो को विविधीकृत करने और जोखिम‑प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है।
एक और दिलचस्प बात यह है कि बाजार में नई तकनीकी कंपनियों की स्टॉक कीमतें भी इस गिरावट से प्रभावित हुईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आज की डिजिटल अर्थव्यवस्था भी भौगोलिक तनाव से अछूती नहीं है। इस परामर्श के तहत, वित्तीय संस्थानों ने अपने ग्राहकों को अधिक संतुलित एसेट अलोकेशन की दिशा में कदम बढ़ाने का आग्रह किया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रम्प के टैरिफ ने एशिया के शेयर बाजारों को कैसे प्रभावित किया?
ट्रम्प ने 6 अप्रैल को सभी चीनी आयात पर 104‑145% टैरिफ की घोषणा की, जिससे निवेशकों में गहरा डर फूट गया। परिणामस्वरूप निक्केई 225, हैंग सेंस और शेनझेन कॉम्पोज़िट जैसे प्रमुख सूचकांकों ने एक सत्र में 7‑12% गिरावट दर्ज की। टैरिफ से जुड़े व्यापार तनाव ने बाजार की तरलता को घटा दिया और तत्काल पैनिक बेचने को प्रेरित किया।
क्या इस गिरावट का असर भारतीय निवेशकों पर भी पड़ा?
हां, भारतीय बाजारों ने भी भारी नुकसान झेले। BSE सेंसेक्स 2,226.79 अंक गिरा और निफ्टी 50 742.85 अंक घटा। इस एक‑दिन के नुकसान से देश के शेयरधारकों की संपत्ति लगभग ₹14 लाख करोड़ तक घट गई, जबकि India VIX ने 56% तक उछाल दर्ज किया, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ी।
सर्किट ब्रेकर ने बाजार को कितनी सहायता दी?
टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज ने 8:45 बजे ट्रेडिंग को 10 मिनट के लिये रोक कर कीमतों को स्थिर करने की कोशिश की। इससे शुरुआती 9% गिरावट को लगभग 6‑7% तक सीमित किया गया। हालांकि, सर्किट ब्रेकर केवल अल्पकालिक राहत देता है; दीर्घकालिक गिरावट को रोकने में यह पर्याप्त नहीं सिद्ध हुआ।
भविष्य में इस तरह की टैरिफ तनाव को कैसे संभालना चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारें टैरिफ वार्ता को तेज करें और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को वैकल्पिक मार्ग प्रदान करें। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को विविधीकृत करने, हेजिंग उपकरणों का उपयोग करने और जोखिम‑प्रबंधन रणनीतियों को सुदृढ़ करने की सलाह दी जा रही है।
इंडेक्स गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इंडेक्स में तेज गिरावट से निवेशकों का भरोसा घटता है, जिससे विदेशी पूँजी प्रवाह में कमी आ सकती है। साथ ही, शेयर बाजार में नकारात्मक भावना के कारण कंपनियों के लिए पूँजी जुटाना महँगा हो सकता है, जो आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है।
Sameer Srivastava
अक्तूबर 6, 2025 AT 21:38अरे यार ये जो टैरिफ का एंट्री है, दिल ही नहीं करता!! ऐसे दिमागी पैनिक में पड़ते हैं लोग, जैसे सारा बॉक्सिंग रिंग में फेंको! ट्रम्प की बेतुकी चाल ने एशिया के शेयरों को सीधा जॉबनिस देगा!!
मैं तो कह रहा हूँ, अगर ऐसा चलता रहा तो निवेशक लोग बस धक्का खा-खाते रहेंगे।
Mohammed Azharuddin Sayed
अक्तूबर 14, 2025 AT 13:38ट्रम्प की टैरिफ घोषणा ने वाकई में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के तनाव को बढ़ा दिया है, और इसका सीधा असर मार्केट वोलैटिलिटी में दिख रहा है। एशियाई इंडेक्सों की गिरावट को सिर्फ पैनिक से नहीं, बल्कि वास्तविक निर्यात‑आय में सम्भावित गिरावट से भी जोड़ना चाहिए।
Avadh Kakkad
अक्तूबर 22, 2025 AT 05:38वास्तव में, इस तरह की अचानक टैरिफ नीति का इतिहास 1990 के दशक के एशिया वित्तीय संकट में भी देखा गया था, जहाँ अचानक शुल्क वाढ़ने से कई बाजारों में तेज़ गिरावट आई थी। इस बार यूएस‑चीन तनाव का पैमाना बड़ा है, इसलिए 8‑10% गिरावट अपेक्षित है।
Akhil Nagath
अक्तूबर 29, 2025 AT 21:38हमारी वैश्विक आर्थिक संरचना एक जटिल ताने‑बाने से बँधी हुई है; जब एक धागा कसकर खींचा जाता है, तो बाकी सब फिसल जाते हैं। ऐसे में भ्रमित भूखंर को समझना आवश्यक है। 🧐
vipin dhiman
नवंबर 6, 2025 AT 13:38इंडिया को एसी बेतुकी टैरिफ से नहीं डरा लेता, हम तो हमेशा मजबूत रहेंगे!!
vijay jangra
नवंबर 14, 2025 AT 05:38वास्तव में, घरेलू निवेश को विविधीकृत करने और निर्यात को बढ़ाने के लिए रणनीतिक कदम उठाना आवश्यक है, जिससे विदेशी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।
Vidit Gupta
नवंबर 21, 2025 AT 21:38सभी को पता है कि सर्किट ब्रेकर ने थोड़ी देर के लिए फायरफाइटर जैसा काम किया, पर यह अस्थायी राहत है; हमें दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है, इसलिए सभी फाइनेंसियों को मिलकर काम करना चाहिए।
Gurkirat Gill
नवंबर 29, 2025 AT 13:38बिल्कुल सही कहा, अगर हम मिलकर पोर्टफोलियो को रीसेंट्रलाइज़ करें और हेज़िंग टूल्स का इस्तेमाल करें, तो इस उछाल को संभालना आसान हो जाएगा।
Sandeep Chavan
दिसंबर 7, 2025 AT 05:38चलो भाई लोग, इस पैनिक को ऊर्जा में बदलें! जोखिम को मैनेज करने के लिए तुरंत एसेट अलोकेशन रीव्यू करें, हाई‑क्वालिटी ब्लू‑चिप पे फोकस करें, और डाइवर्सिफ़ाय करें!! यही रास्ता है इस गिरावट से बाहर निकलने का!!