Navratri 2025 के चौथे दिन माँ कुशमांडा की पूजा: लौकी का हलवा कैसे बनाएं

Navratri 2025 के चौथे दिन माँ कुशमांडा की पूजा: लौकी का हलवा कैसे बनाएं सित॰, 27 2025

नववर्ष 2025 के चौथे दिन, यानी 25 सितम्बर को, माँ कुशमांडा (आठ भुजा वाली देवी) की पूजा का विशेष महत्त्व है। उनका नाम ‘कु’, ‘उष्मा’ और ‘अंडा’ से जुड़ा है, जो सृष्टि की सृजन शक्ति को दर्शाता है। इस दिन भक्त लोग सबसे पहले अपने घर को पीले और नारंगी रंग से सजाते हैं, क्योंकि ये रंग समृद्धि और उपचारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं।

माँ कुशमांडा की पूजा के मुख्य पहलू

पूजके समय अभिजीत मुहूर्त (11:48 ए एम से 12:36 पी एम) को चुनना अनिवार्य है; माना जाता है कि इस क्षण में मंत्रस्थ शुद्ध होते हैं और इच्छाएँ तेज़ी से पूरी होती हैं। इस समय आप घर में साफ़-सफाई करके, पीले कपड़े, पीले फूल (गेंदे, कमल), और पीले बंगलों का प्रयोग कर सकते हैं। देवी के आठ हाथों में विभिन्न दिव्य औजार होते हैं – कमल, क़मंडल, धनुष‑तीर, अमृत कला, जपा माल़ा, गदा और चक्र, जो शक्ति और संरक्षण का प्रतीक हैं।

मन‑शरीर में तनाव, डिप्रेशन या अतीत का बोझ महसूस करने वाले लोग विशेष रूप से इस पूजा से लाभ पाते हैं, क्योंकि माँ कुशमांडा अनाहत चक्र (हृदय चक्र) को नियंत्रित करती हैं। उनका स्मित ही सृष्टि को प्रकाशित करता है, इसलिए उनकी कृपा से जीवन में नई रोशनी और ऊर्जा आती है।

लौकी का हलवा – शुद्ध भोग की विधि

लौकी का हलवा – शुद्ध भोग की विधि

भोग में शुद्ध (सात्विक) खाना आवश्यक है, जिसमें प्याज़‑लहसुन और तीखे मसाले नहीं होते। लौकी का हलवा इस दिन का मुख्य आकर्षण है क्योंकि कुशमांडा का नाम स्वयं ‘कुशमुख’ यानी ‘गुड़िया’ से जुड़ा माना जाता है, और लौकी (कुश) की मिठास को देवी की मधुरता से जोड़ा जाता है। नीचे दिया गया क्रम आपको सरलता से इस विशेष व्यंजन को बनाने में मदद करेगा:

  1. एक बड़े बर्तन में 500 ग्राम कद्दूकस की हुई लौकी रखें।
  2. इसमें 2 लेटर पूरी फेटी हुई दूध डालें और मध्यम आंच पर लगातार चलाते रहें।
  3. जब दूध आधा रह जाए, तो 150 ग्राम कटा हुआ घी डालें और मिलाएँ।
  4. अब 200 ग्राम पिसी हुई चीनी मिलाकर हल्का गरम होने तक पकाएँ।
  5. स्वाद के लिए 4‑5 ईलीची पाउडर, एक चुटकी केसर (हल्का गर्म दूध में भिगोया हुआ) और एक छोटा चम्मच कटा हुआ बादाम/पिस्ता डालें।
  6. हलवा जब गाढ़ा हो जाए और किनारे से अलग हो रहा हो, तो इसे एक साफ़ थाली में निकालें।
  7. उपर से थोड़ा और घी और केसर से सजाएँ, फिर पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।

भोग में अन्य रंगीन व्यंजन भी प्रमुख हैं: आम का श्रिकंद, केसर वाली मालपूआ, अनानास हलवा, नारंगी बर्फी और चना दाल की खीर। सभी व्यंजन पीले‑नारंगी रंग में तैयार किए जाते हैं, जिससे माँ की सूर्य‑समान चमक का सम्मान होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माँ कुशमांडा का संबंध बुध ग्रह से है और उनका निवास सूर्य के गोल में माना जाता है। इस कारण उनके अंश आजीवन ऊर्जा, जीवंतता और सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। इसलिए जब आप इस दिन लौकी का हलवा बनाते हुए अपनी मनोकामना को सामर्थ्य देते हैं, तो आप अनंत ब्रह्मांडीय शक्ति के साथ संवाद स्थापित कर रहे होते हैं।

भक्तों के लिए यह दिन न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का बल्कि घर में सामंजस्य और स्वास्थ्य का भी स्रोत बनता है। पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद के रूप में बाँटा गया लौकी का हलवा परिवार और मित्रों में खुशी और समृद्धि का संदेश ले जाता है। इस प्रकार, Maa Kushmanda की उपासना और लौकी के हलवे की मीठी महक, दोनों मिलकर नववर्ष के इस विशेष दिन को यादगार बनाते हैं।