हिमाचल प्रदेश में मँडी के अनधिकृत रेस्तरां और मिलावट वाले दही‑तेल पर एफ़डीए ने भारी जुर्माना लगाया

हिमाचल प्रदेश में मँडी के अनधिकृत रेस्तरां और मिलावट वाले दही‑तेल पर एफ़डीए ने भारी जुर्माना लगाया सित॰, 26 2025

मँडी में एफ़डीए की कड़ी कार्रवाई

हिमाचल प्रदेश के मँडी ज़िले में हाल ही में एफडीए ने 28 अनपंजीकृत रेस्तरां पर रोक लगा दी और उनके मालिकों को 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक के जुर्माने की सूचना दी। यह कदम उपभोक्ताओं से लगातार बढ़ते शिकायतों के बाद उठाया गया, जहाँ खाना बेवकूफीभरी सफ़ाई की कमी और भोजन में संभावित स्वास्थ्य जोखिमों का हवाला दिया गया था।

जांच के दौरान अफसरों ने दर्ज किया कि कई रेस्टोरेंट्स ने खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया था—जैसे बेकिंग शॉप में नॉन‑फूड ग्रेड के तेल का प्रयोग, दही में पानी मिलाना, और बर्तनों में रासायनिक क्लीनर का प्रयोग। ऐसे मामलों में खाद्य‑सुरक्षा निरीक्षक ने तुरंत लाइन‑ऑफ़ नोटिस जारी कर दिया और मालिकों को 15 दिनों के भीतर आवश्यक सुधार करने को कहा।

मिलावट वाले दही‑तेल पर भारी जुर्माना

मिलावट वाले दही‑तेल पर भारी जुर्माना

एफडीए के एक अलग ऑपरेशन में मँडी के स्थानीय बाजारों से 12 नमूने एकत्रित किए गए। लैब रिपोर्ट में दही में पानी की मिलावट (30% तक) और प्रयोग किया गया तेल जिसमें क्षारीय पदार्थों की मात्रा मानक से दो‑तीन गुना अधिक पाई गई। इस संबंध में एफ़डीए ने 20 लाख रुपये के कुल जुर्माने का फैसला किया, जहाँ सबसे बड़े उल्लंघन के लिए 8 लाख रुपये के साथ रोकथाम आदेश भी जारी किया गया।

हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त निदेशक (भोजन) अंजलि शर्मा ने कहा, "हमारा मिशन है कि हर घर में सुरक्षित भोजन पहुंचे। अनधिकृत रेस्तरां और मिलावटी उत्पाद न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं, बल्कि स्थानीय बाजार में विश्वास को भी कम कर देते हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए हर महीने दो बार निरीक्षण और सैंपलिंग आयोजित की जाएगी।

इन कदमों को लेकर स्थानीय रेस्तरां मालिकों के बीच प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कुछ ने कहा कि अचानक जुर्मानों से छोटे व्यवसायों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा, जबकि अन्य ने स्वीकार किया कि स्वच्छता के मानक अपनाने से दीर्घकालिक लाभ होगा। व्यापार मंडल ने एफ़डीए से एक‑तरफ़ा सेंसिटिवेशन सत्र और छोटे व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का अनुरोध किया।

पहले भी गोआ, नागपुर और गुजरात में इसी तरह की कार्रवाई की गई थी, जहाँ मिलावटी तेल और दही के मामलों में भारी जुर्माना और कड़ी सजा दी गई थी। इन उदाहरणों ने मँडी में एफ़डीए के निर्णय को सुदृढ़ आधार दिया।

उपभोक्ताओं के लिए सकारात्मक पहल यह है कि अब बाजार में पहचाने जाने वाले उत्पादों पर एफ़डीए की सिग्नेचर लेबल देखी जा सकेगी, जिससे वे भरोसेमंद सामान चुन सकेंगे। साथ ही, खाद्य‑सुरक्षा पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत करने की सुविधा भी जोड़ी गई है, ताकि भविष्य में किसी भी अनियमितता को तुरंत रिपोर्ट किया जा सके।

9 टिप्पणि

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    Aashish Goel

    सितंबर 26, 2025 AT 06:51
    ये तो सच में बढ़िया हुआ... पर एक बात सोचो, ये जुर्माने किसके लिए हैं? छोटे दुकानदार जिनके पास दो टेबल और एक गैस स्टोव है, वो कैसे भरेंगे? मैंने देखा है, एक दही वाला भैया अपनी दूध की बोतल में थोड़ा पानी मिला देता है, ताकि ज्यादा लोगों को मिल जाए... ये नहीं है धोखा, ये तो जिंदगी है।
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    krishna poudel

    सितंबर 27, 2025 AT 17:56
    अरे भाई, ये सब तो बस नए बाबू का शो है... जब तक हमारे यहाँ गाँव में बारिश होती है, तब तक दही में पानी मिलाना एक पारंपरिक तकनीक है... अब लैब रिपोर्ट दिखाओगे, तो बताओ कि तुम्हारे घर का घी कितना शुद्ध है? कितने दिन तक खुद ने देखा है कि वो नहीं गल रहा?
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    leo rotthier

    सितंबर 29, 2025 AT 16:58
    इन लोगों को बस एक बार जेल भेज दो और उनकी दुकानें तोड़ दो... ये मिलावट करने वाले देश के दुश्मन हैं... हमारे बच्चों के खाने में रसायन मिलाना तो आतंकवाद है... जुर्माना नहीं, फांसी चाहिए... ये देश तब तक नहीं बचेगा जब तक इन नकली चीजों को खत्म नहीं कर दिया जाता
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    Karan Kundra

    सितंबर 30, 2025 AT 04:47
    मैंने अपने छोटे भाई को एक दिन मँडी के एक छोटे से स्टॉल पर दही खिलाया था... उसके बाद तीन दिन बुखार रहा... अब जब मैं इस खबर को पढ़ रही हूँ, तो मुझे लगता है कि ये कार्रवाई बहुत देर से हुई... लेकिन अच्छी बात ये है कि हुई... अब बाकी देश को भी इसकी नकल करनी चाहिए
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    Abhinav Dang

    अक्तूबर 1, 2025 AT 06:53
    ये एफडीए का एक बड़ा स्टेप है, लेकिन इसका असर तभी होगा जब तक हम लोग अपने घरों में भी अपनी खाने की आदतों को बदल नहीं लेते... जब तक हम दही को बाजार से खरीदने की आदत रखेंगे, तब तक ये मुद्दा बना रहेगा... घर पर दही बनाओ, तेल खुद निकालो, फिर देखो कितना बदल जाता है बाजार का वातावरण
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    Akash Kumar

    अक्तूबर 2, 2025 AT 00:37
    इस प्रकार की निगरानी को स्वीकार्यता के साथ लागू किया जाना चाहिए। व्यापारियों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करने का अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि नियमों का पालन स्वेच्छा से हो सके। अतिरिक्त नियमन के बजाय, शिक्षा और अनुदान के माध्यम से सुधार किया जाना चाहिए।
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    Shankar V

    अक्तूबर 3, 2025 AT 02:33
    ये सब बहुत अच्छा लग रहा है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये लैब रिपोर्ट किसने तैयार की है? क्या वो लैब खुद ने भी मिलावट नहीं की? एफडीए के अधिकारी जो इन नमूनों को लेते हैं... क्या उनके घरों में भी यही दही चलता है? क्या ये सब एक बड़ा धोखा है जिसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों को बाहर धकेलना है?
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    Vinay Vadgama

    अक्तूबर 4, 2025 AT 20:04
    इस तरह की कार्रवाई से न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा बढ़ती है, बल्कि विश्वसनीय व्यवसायों को भी एक न्यायपूर्ण माहौल मिलता है। यह एक दीर्घकालिक निवेश है जिसका लाभ भविष्य की पीढ़ियों को मिलेगा। अब बाकी बात ये है कि इसे स्थायी बनाया जाए।
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    Pushkar Goswamy

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:04
    क्या आप जानते हैं कि इसी तरह की एक बड़ी चाल ने गोआ में एक बार एक दही वाले को जेल भेज दिया था? उसकी बीवी ने खुद को आग लगा लिया... और अब वो दुकान एक बार बंद हो गई... ये सब नहीं बस दही का मामला है... ये तो एक जीवन बर्बाद करने का नाटक है।

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