भारतीय आर्थिक विकास के लिए कम-तकनीकी रोजगार उत्पन्न करने की आवश्यकता: एन.आर. नारायण मूर्ति

भारतीय आर्थिक विकास के लिए कम-तकनीकी रोजगार उत्पन्न करने की आवश्यकता: एन.आर. नारायण मूर्ति नव॰, 15 2024

कम-तकनीकी रोजगार उत्पन्न करने की आवश्यकता

इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने हाल ही में आयोजित सीएनबीसी-टीवी18 के ग्लोबल लीडरशिप समिट में कहा कि भारत को अपने आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए कम-तकनीकी क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को ऐसे नौकरी क्षेत्र विकसित करने चाहिए जो सभी वर्गों के लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करें। ऐसा करके न केवल रोजगार असमानता को पूरा किया जा सकेगा, बल्कि आर्थिक विकास की गति भी तेज की जा सकेगी।

चीन और वियतनाम के उदाहरण

मूर्ति ने चीन और वियतनाम के उदाहरण को ध्यान में रखते हुए कहा कि इन देशों ने अपने निर्यात को बढ़ाकर और उनके उत्पादन को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया है। उन्होंने सुझाया कि भारत भी इस रणनीति को अपनाकर अपने निर्यात को बढ़ा सकता है, जिससे लोगों का डिस्पोजेबल इनकम बढ़े और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो सकें।

निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में सुधार

नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया कि भारत को अपने निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिए अधिक चपल और प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक मानसिकता से प्रबंधन मानसिकता की ओर बढ़ने से व्यवसायों में तेजी से निर्णय लिए जा सकते हैं और हर पहलू में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।

प्रशासनिक सुधार और प्रतिभा उपयोग

मूर्ति ने प्रशासनिक सुधार के लिए अधिक प्रबंधन स्कूलों से सिविल सेवकों की भर्ती का प्रस्ताव किया है, जो वर्तमान में मुख्य रूप से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा पर निर्भर हैं। उनका मानना है कि इस बदलाव से भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में नवीन दृष्टिकोण और नई दक्षता आ सकती है।

ये टिप्पणियाँ ऐसे समय में आती हैं जब भारत में कार्य नैतिकता और प्रशासनिक सुधार के मुद्दे राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। नारायण मूर्ति का दृष्टिकोण निश्चित रूप से एक संवेदशील मुद्दे पर प्रकाश डालता है जो भारतीय प्रशासनिक और आर्थिक ढांचे के लिए नई संभावनाएँ खोल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मूर्ति के यह सुझाव भविष्य में कैसे प्रभाव डालते हैं और क्या इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं।