बेरूत में इज़राइली बमबारी का सिलसिला बरकरार: शांति की दिशा में बढ़ता संकट
अक्तू॰, 7 2024
बेरूत में फिर धमाके: तनाव को बढ़ाता संघर्ष
बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में फिर से हुए बड़े धमाकों ने लेबनान की स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। इन धमाकों को स्थानीय मीडिया ने 'बहुत हिंसक' बताया है, और आकाश में उठते लाल ऊर्जा के गोले के रूप में देखा गया है। ऐसी स्थिति में जब पोप फ्रांसिस विश्व शांति की दिशा में प्रार्थना करने की तैयारी कर रहे हैं, इस तरह की घटनाएं चिंता का विषय हैं। लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता तेजी से बढ़ रही है।
संघर्ष के एक वर्ष के बाद
7 अक्टूबर एक ऐसा दिन है जो संघर्ष के एक लंबे और कठिन वर्ष की याद दिलाता है। यह वही दिन है जब हमास ने दक्षिणी इज़राइल पर आक्रमण किया था, जिससे बढ़ते टकराव का यह सिलसिला शुरू हुआ। एक वर्ष बाद, इन घटनाओं के प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं, जिससे संपूर्ण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में चिंता बढ़ रही है।
इसी बीच इज़राइली सेना के अद्यतन के अनुसार, हिज़बुल्लाह द्वारा रात भर में 30 रॉकेट उत्तरी इज़राइल के मुख्यत: खाली इलाकों में गिरे। यह स्थिति स्थिति की जटिलता को और भी बढ़ा रही है।
शरणार्थियों की बढ़ती संख्या
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में लेबनान से 2 लाख से अधिक लोग पड़ोसी सीरिया में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और लेबनान को अब 'भयानक' शरणार्थी संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह लोग 'अक्षमता की कगार पर' आ चुके हैं, या फिर इज़रायली हवाई हमलों से 'विस्थापित' हो गए हैं।
दरअसल, इस्राइली हवाई हमलों ने 12 लाख से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है, जिससे लेबनान में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों ही प्रभावित हुए हैं। हरेक विस्फोट के साथ ही उनके धीरे-धीरे जीवन की सामान्य दिनचर्या छिनती जा रही है।
गाजा में बढ़ता संकट
इस्राइली सेना ने गाजा पट्टी में एक मस्जिद पर भी हमला किया है जिसमें कई लोग मारे गए हैं। यह मस्जिद दैर अल-बलाह में स्थित थी और आईडीएफ ने दावा किया कि इस इमारत का इस्तेमाल हमास कर रहा था। यह स्थिति क्षेत्र में गहराते मानवतावादी संकट की पुष्टि करती है।
अस्पतालों में इलाज की कमी, आवास का संकट, और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति में उत्पन्न कठिनाई जैसे मुद्दे अब अब आम हो चुके हैं। नागरिक इन विषम स्थितियों से जूझते हुए अपने भविष्य को लेकर चिंताग्रस्त हो गए हैं।
शांति की दिशा में संभावनाएं
इन सभी घटनाओं के बीच, विश्व समुदाय शांति की दिशा में प्रयासरत है। जबकि पोप फ्रांसिस विश्व शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थान संकट को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस समय यह महत्वपूर्ण है कि सभी पक्ष बातचीत की मेज पर आएं और संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालें।
मासूम लोगों की पीड़ा और उनके अनिश्चित भविष्य को देखते हुए, यह जिम्मेदारी सभी पर है कि वे मानवता के लिए एक संगठित प्रयास करें। चल रही हिंसा को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ एक स्थिर और सुरक्षित दुनिया में रह सकें।
Amar Khan
अक्तूबर 8, 2024 AT 00:07ये सब बस एक बड़ा धोखा है, जिसमें हर कोई अपनी बात चलाता है और आम इंसान बस बचने की कोशिश कर रहा होता है।
Akshay Srivastava
अक्तूबर 9, 2024 AT 23:38इस संघर्ष का मूल कारण आधुनिक राजनीति का अहंकार है, जो धर्म, भूमि और शक्ति के नाम पर मानवता को नष्ट कर रहा है। हम जिस तरह के नेता चुनते हैं, वही हमारी भविष्य की नींव बनते हैं। जब तक हम अपनी आंखें बंद रखेंगे, तब तक ये घृणित चक्र जारी रहेगा। यह सिर्फ इज़राइल और लेबनान का मुद्दा नहीं, यह मानवता का सवाल है।
हर बम एक अनजान बच्चे के सपनों को मार रहा है। हर रॉकेट एक माँ के आंसुओं को बन रहा है। हम इसे विश्लेषण के नाम पर नहीं, बल्कि दिल से समझना चाहिए।
शांति के लिए प्रार्थना तो सब करते हैं, लेकिन क्या कोई अपने हाथों से एक बंदूक उठाने के लिए तैयार है? नहीं। हम सब बस बैठे हैं, फोन पर लाइक्स देकर और फिर अपने घरों में सो जाते हैं।
इसलिए जब तक हम अपने अहंकार को नहीं छोड़ेंगे, तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी। इतिहास सिर्फ एक बार दोहराता है, लेकिन जब हम उसे नहीं सीखते, तो वह बार-बार आता है।
manisha karlupia
अक्तूबर 11, 2024 AT 17:20मैं तो बस ये सोचती हूँ कि इन सबके बीच एक छोटी सी लड़की अपने घर के टूटे खिड़की से आसमान को देख रही होगी... और उसे याद आ रहा होगा कि पिछले साल वो गुलाब लगाती थी वहाँ।
कोई बताएगा कि ये दर्द कब खत्म होगा? मैंने अपने बच्चे को आज रात गोद में उठाया और रो दिया।
Roopa Shankar
अक्तूबर 13, 2024 AT 14:40हाँ, ये बहुत दर्दनाक है... लेकिन अगर हम अभी भी एक दूसरे को अपना दुश्मन समझते रहेंगे, तो कोई भी शांति नहीं आएगी।
हमें अपने दिल को खोलना होगा, बातचीत शुरू करनी होगी, और ये समझना होगा कि दूसरे का दर्द भी वैसा ही है जैसा हमारा।
हर एक आवाज़ अहम है। हर एक शांति का प्रयास बड़ा है। हम सब एक दूसरे के लिए एक दीपक बन सकते हैं - बस एक छोटा सा कदम उठाना है।
Hardik Shah
अक्तूबर 14, 2024 AT 17:43ये सब बकवास है। लेबनान के लोगों को अपनी गलतियों का बोझ उठाना चाहिए। हिज़बुल्लाह के बिना ये झगड़ा क्यों होता? इज़राइल तो बस खुद की रक्षा कर रहा है।
पोप की प्रार्थना से कुछ नहीं होगा। बंदूकें ही शांति लाती हैं।
shivesh mankar
अक्तूबर 16, 2024 AT 09:31हाँ, हिज़बुल्लाह भी गलत है, और इज़राइल भी। लेकिन जब तक हम एक दूसरे को बुरा नहीं समझेंगे, तब तक शांति दूर ही रहेगी।
मैं बस ये कहना चाहता हूँ कि आप लोग जो अभी बाहर रह रहे हैं - आप अकेले नहीं हैं। दुनिया भर में लाखों लोग आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
हर एक छोटी अच्छी बात - एक दान, एक शेयर, एक शांतिपूर्ण शब्द - वो भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।
हम सब एक ही धरती पर रहते हैं। बस इतना समझ लो - दूसरे का दर्द भी तुम्हारा दर्द है।
vikram singh
अक्तूबर 17, 2024 AT 10:38ये सब तो एक बिल्कुल ब्रॉडवे ड्रामा है - बम बज रहे हैं, रॉकेट उड़ रहे हैं, पोप प्रार्थना कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र ट्वीट कर रहे हैं, और हम सब घर पर चिपचिपा चावल खा रहे हैं!
इज़राइल का बम एक रॉकेट की तरह लगता है जैसे बॉलीवुड में एक्शन सीन होता है - धुआं, आग, गिरते हुए घर, और एक बच्चा रोता हुआ।
लेकिन असली ड्रामा तो ये है कि हम इसे 'समाचार' कहकर बाहर फेंक देते हैं और फिर नेटफ्लिक्स पर बैठ जाते हैं।
ये नहीं है कि लोग बेवकूफ हैं... बल्कि ये है कि हम बहुत थक गए हैं।
कल तक ये खबर चलेगी, आज तक ये चल रही है - और अगले हफ्ते किसी और देश की बात होगी।
हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहाँ दर्द ट्रेंड हो जाता है... और फिर भूल जाया जाता है।
avi Abutbul
अक्तूबर 18, 2024 AT 20:11अच्छा है कि कोई बात कर रहा है। मैंने तो सोचा था कि ये सब लोग बस फोन चला रहे हैं और नहीं जानते कि बाहर क्या हो रहा है।
मैं अपने दोस्त के बेटे को देखा था - वो बस एक टी-शर्ट पहने बैठा था, और उसकी आँखों में एक ऐसा खालीपन था जैसे कोई उसका सब कुछ छीन ले गया हो।
हमें बस इतना करना है - एक दूसरे को देखो। बस।