प्रधानमंत्री मोदी ने ISRO की 100वीं सफल लॉन्चिंग पर दी बधाई, निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर डाला प्रकाश

प्रधानमंत्री मोदी ने ISRO की 100वीं सफल लॉन्चिंग पर दी बधाई, निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर डाला प्रकाश जन॰, 29 2025

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ऐतिहासिक 100वें प्रक्षेपण के अवसर पर उन्हें बधाई दी। इस उपलब्धि का श्रेय ISRO के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अद्वितीय दृष्टि, समर्पण और प्रतिबद्धता को जाता है। जीएसएलवी-एफ15 के माध्यम से एनवीएस-02 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से किया गया। यह प्रक्षेपण भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे अंतरिक्ष अभियानों में एक नई ऊंचाई को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी उत्साहजनक बातें साझा कीं।

निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि अब निजी क्षेत्र भी भारत के अंतरिक्ष अभियानों में शामिल हो रहा है। इससे हमारी अंतरिक्ष यात्रा आगे बढ़ेगी और नई ऊंचाइयों को छू पाएगी। यह वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करेगा और देश को एक नई दिशा में ले जाएगा। ISRO का यह 100वां प्रक्षेपण यह दर्शाता है कि भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत और लगन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है।

पिछली सफलताएँ और भविष्य की योजनाएँ

ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस प्रक्षेपण को भारत के लिए एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने बताया कि यह 2025 का पहला मिशन था और श्रीहरिकोटा से 100वीं लॉन्चिंग थी। ISRO ने अगस्त 1979 से लेकर अब तक 548 सेटेलाइटों को अंतरिक्ष में प्रक्षिप्त किया है, जिसमें 433 विदेशी सेटेलाइट शामिल हैं। नई पीढ़ी के लॉन्च वाहनों के विकास के साथ-साथ ISRO भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को और भी विस्मित करने वाली योजनाएँ बना रही है।

आने वाले मिशन

ISRO के अध्यक्ष ने बताया कि संगठन के पास आगे आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण मिशन हैं। इनमें गगनयान कार्यक्रम का पहला मानवरहित मिशन, चंद्रयान 4 और 5, और वीनस ऑर्बिटर मिशन शामिल हैं। इन सारी योजनाओं से स्पष्ट है कि ISRO आने वाले वर्षों में भी विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है। ISRO के इन योजनाओं से अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की नई संभावनाएं उभरेंगी।

जीएसएलवी-एफ15 की संक्षिप्त जानकारी

जीएसएलवी-एफ15 की यह 17वीं उड़ान थी और 11वीं उड़ान थी जिसमें इसे स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ सूत्रधारित किया गया था। इस क्रायोजेनिक चरण ने भारत के अंतरिक्ष अभियानों को और अधिक शक्ति और विश्वसनीयता प्रदान की है। यह जीएसएलवी का 8वां प्रासंगिक प्रक्षेपण था जो भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को 4 से 5 सैटेलाइट तक अद्यतन करेगा।

नया नेविगेशन सिस्टम

सेटेलाइट सिस्टम को कहीं से भी सुरक्षित रखता है। इस प्रक्षेपण के द्वारा भारत का नेविगेशन सिस्टम अधिक सटीक और विश्वसनीय हो गया है। नया नेविगेशन सिस्टम भारत एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक स्थिति, गति और समय की सेवा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस प्रयास की सफलता से भारतीय जनता को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा प्राप्त होगी।