ओलंपिक 2024: पेरिस में भारत की मेडल तालिका में अंतिम स्थिति

ओलंपिक 2024: पेरिस में भारत की मेडल तालिका में अंतिम स्थिति अग॰, 12 2024

ओलंपिक 2024: पेरिस में भारत की मेडल तालिका में अंतिम स्थिति

2024 पेरिस ओलंपिक का भव्य समापन हो चुका है और इस बार ओलंपिक में भारतीय दल ने अपनी पूरी मेहनत और उत्साह के साथ भाग लिया। भारत ने इस बार कुल 6 पदक हासिल किए, जिसमें एक रजत और पांच कांस्य पदक शामिल हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में अपना योगदान दिया और अपनी धाक जमाई।

भारत का प्रदर्शन

इस ओलंपिक में भारत ने कई नए पहलवानों और खिलाडियों को मौका दिया जिन्हें अपने देश का नाम रोशन करने का मौका मिला। यह समय हैं उन सभी खिलाड़ियों को मनाने का जिन्होंने अपने प्रदर्शन को ऊंचा बनाते हुए मेडल हासिल किया।

भारत के लिए यह ओलंपिक खास इसलिए भी रहा क्योंकि कई खिलाड़ियों ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया और उन्हें सही मायनों में उनकी मेहनत का प्रतिफल मिला। विशेषकर एथलेटिक्स और बॉक्सिंग में भारत ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।

हालांकि, मेडल की संख्या पिछली बार की तुलना में कम थी, लेकिन खिलाड़ियों का हौसला बुलंद रहा। भारतीय खेल जगत में यह समय आत्मविश्लेषण का भी है, जहां हमें यह समझना होगा कि किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है ताकि भविष्य में और भी अधिक पदक जीत सकें।

दुनिया के प्रमुख देशों का प्रदर्शन

अमेरिका और चीन ने इस बार भी ओलंपिक में दबदबा बनाए रखा। अमेरिका ने सबसे अधिक गोल्ड मेडल जीतकर यह सिद्ध कर दिया कि वे ओलंपिक में एक बड़ी शक्ति हैं। चीन ने भी कई गोल्ड मेडल जीते और दोनों देशों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।

ऑस्ट्रेलिया ने भी इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 43 मेडल जीते, जिसमें 18 गोल्ड मेडल थे। यह ऑस्ट्रेलिया के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

रूस का प्रदर्शन इस बार काफी गिर गया था। डोपिंग विवाद और यूक्रेन पर आक्रमण के बाद उन्हें कई देशों ने बहिष्कार कर दिया, जिसका असर उनके मेडल काउंट पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था।

यूक्रेन ने अपने देश के लिए 8 मेडल जीते, जिसमें 3 गोल्ड मेडल थे। इस कठिन समय में उनके खिलाड़ियों ने अपने देश का नाम रोशन किया।

भारत के लिए आगे का रास्ता

भारत के लिए आगे का रास्ता चुनौतियों और अवसरों से भरा है। हमें अपने खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और सपोर्ट सिस्टम पर ध्यान देना होगा। सरकार और खेल संस्थाओं को अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर, कोचिंग और अन्य संसाधनों में निवेश करना होगा ताकि हमारे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टक्कर दे सकें।

इसके साथ ही, हमारे खिलाड़ियों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की मजबूत ट्रेनिंग देनी होगी ताकि वे किसी भी मुसीबत का सामना करने को तत्पर रहें। ग्रामीण और छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों को भी समान अवसर और सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें।

आने वाले महाकुंभ की तैयारी

अब हमें अगले ओलंपिक की तैयारी पर ध्यान देना होगा। हमारे पास लगभग 4 साल हैं जिसमें हमें पूरी शिद्दत से तैयारी करनी होगी। देशभर में नए टैलेंट खोजने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

कुल मिलाकर, यह ओलंपिक भारत के लिए एक सीखने और सुधारने का अवसर था। अगर सही दिशा और मेहनत के साथ आगे बढ़ा जाए, तो आने वाले समय में हमारी पदक तालिका और भी ऊंची हो सकती है।

19 टिप्पणि

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    Aravinda Arkaje

    अगस्त 12, 2024 AT 22:27

    भाई, ये 6 पदक भी तो बहुत बड़ी बात है! पिछले कुछ सालों में इतने अच्छे प्रदर्शन का कोई रिकॉर्ड नहीं था। खासकर बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में जो नए खिलाड़ी निकले, उन्होंने देश का नाम रोशन किया। अब बस इनके साथ निरंतर सपोर्ट चाहिए।

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    kunal Dutta

    अगस्त 13, 2024 AT 01:47

    मेडल काउंट कम है? तो फिर क्या? इंफ्रास्ट्रक्चर और कोचिंग का जो बेसिक बजट है, उसमें तो एक अच्छा स्कूल बन जाता। अमेरिका के पास 12 एथलेटिक लैब्स हैं, हमारे पास एक टूटी हुई रिंग और एक टीचर जो दो दिन बाद आता है। इसे प्रोग्रेस कहते हैं? 😅

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    Yogita Bhat

    अगस्त 14, 2024 AT 17:19

    ये सब बातें तो सही हैं... लेकिन असली सवाल ये है कि हम अपने खिलाड़ियों को क्यों नहीं छोड़ते जिन्हें वो चाहते हैं? क्यों हर बच्चे को बैडमिंटन या क्रिकेट के लिए दबाव डाला जाता है? जब एक गाँव का लड़का जिम में बैठा होता है, तो उसके पास कोई भी विकल्प नहीं होता। अगर हम वास्तविक टैलेंट को नहीं ढूंढ रहे, तो फिर ये सब बातें बस एक टेक्स्ट बुक की तरह हैं।

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    Tanya Srivastava

    अगस्त 15, 2024 AT 11:52

    6 पदक? अरे भाई ये तो बहुत है! मैंने तो सोचा था एक भी नहीं आएगा 😂 अब तो सरकार ने भी अपना ट्वीट बदल दिया है - 'हमने भारत को फिर से दुनिया के नक्शे पर ला दिया!' 🤣

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    Ankur Mittal

    अगस्त 16, 2024 AT 15:56

    सही है। बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में टैलेंट है। अब सिर्फ फंडिंग और ट्रेनिंग बेहतर करनी होगी।

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    Diksha Sharma

    अगस्त 16, 2024 AT 17:07

    ये सब झूठ है... ओलंपिक में भारत को जीतने के लिए अमेरिका ने हमारे खिलाड़ियों को डोप दिया है ताकि वो अच्छा दिखे और हम अपने देश के बारे में खुश रहें। तुम्हें ये नहीं पता कि नासा ने भी हमारे एथलीट्स के DNA में बदलाव किया है? 🤫

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    Akshat goyal

    अगस्त 18, 2024 AT 16:31

    सबके लिए बराबर अवसर।

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    Amrit Moghariya

    अगस्त 19, 2024 AT 16:03

    हमारे खिलाड़ियों को बैंक जॉब के लिए दबाव दिया जाता है, न कि खेल के लिए। जब तक हम एक लड़के को बताएंगे कि वो अपनी जिंदगी को खेल पर लगा सकता है, तब तक ये सब बस फैंटेसी होगा।

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    shubham gupta

    अगस्त 20, 2024 AT 12:26

    कोचिंग के लिए निवेश की बात तो हर कोई करता है, लेकिन जब तक हम राज्य स्तर पर खेल विकास के लिए एक अलग बजट नहीं बनाएंगे, तब तक कोई बदलाव नहीं आएगा। खेल मंत्रालय का बजट 2024 में केवल 0.1% था। ये नहीं हो सकता।

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    Gajanan Prabhutendolkar

    अगस्त 21, 2024 AT 00:44

    ये सब बातें बस एक बड़े धोखे का हिस्सा हैं। जब तक हम खेल को बिजनेस नहीं बनाएंगे, तब तक हम अपने खिलाड़ियों को भूखे रखेंगे। अमेरिका में खिलाड़ी कंपनियों के साथ स्पॉन्सरशिप करते हैं, हमारे खिलाड़ी अपने घरों के लिए चावल बेच रहे हैं। ये नहीं हो सकता।

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    ashi kapoor

    अगस्त 22, 2024 AT 13:32

    मैंने देखा कि जब वो लड़का बॉक्सिंग में मेडल जीता, तो उसकी माँ रो रही थी... और उसकी बहन ने ट्विटर पर एक फोटो डाली जिसमें वो बस एक छोटे से गाँव के घर से थी। और फिर उसकी तस्वीर देखकर मैंने सोचा - अगर हम इन लोगों को एक अच्छा गेम प्लान दे दें, तो ये सिर्फ 6 मेडल नहीं, बल्कि 50 मेडल जीत सकते हैं। लेकिन हम तो अभी तक उनकी जिंदगी के बारे में सोच रहे हैं? 🥺

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    Yash Tiwari

    अगस्त 23, 2024 AT 18:28

    यहाँ तक कि एक बच्चे को भी बताया जाता है कि खेल एक अपराध है। हमारे शिक्षा प्रणाली में खेल को एक अतिरिक्त विषय बनाया गया है, जबकि ये जीवन का अभिन्न अंग है। हम लोग इतने अधिक अकादमिक दबाव में हैं कि एक लड़का जिसका शरीर एथलेटिक्स के लिए बना है, वो भी जेईई की तैयारी में फंस जाता है। यही हमारी विफलता है।

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    Mansi Arora

    अगस्त 24, 2024 AT 05:17

    मेडल तो बस एक ट्रॉफी है। असली समस्या ये है कि हमारे खिलाड़ियों को अपने दिमाग की तरह अपने शरीर का भी ध्यान रखना होता है। लेकिन हमारे कोच तो अभी भी बोलते हैं - 'जितना दौड़ोगे, उतना जीतोगे!' और फिर जब खिलाड़ी बीमार हो जाता है, तो वो उसे बर्बाद कर देते हैं। ये नहीं हो सकता।

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    Amit Mitra

    अगस्त 25, 2024 AT 04:25

    हमारे गाँवों में खेल के लिए कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। जब मैं अपने गाँव में था, तो एक बच्चा बैडमिंटन खेल रहा था - उसकी रैकेट एक लकड़ी की छड़ी थी, बॉल एक प्लास्टिक की बोतल का ढक्कन था। लेकिन उसकी आँखों में वो चमक थी जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी में नहीं होती। हमें उस चमक को बचाना होगा।

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    sneha arora

    अगस्त 26, 2024 AT 00:36

    मेरे भाई ने भी बॉक्सिंग की ट्रेनिंग की थी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे तो वो छोड़ दिया 😭 अगर हम इन बच्चों को सपोर्ट नहीं करेंगे तो फिर ये सब बस एक गलत बात है 🤍

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    Sagar Solanki

    अगस्त 27, 2024 AT 17:48

    ओलंपिक मेडल्स को जीतने के लिए तो एक नया राष्ट्रीय नीति बनानी होगी - जिसमें खेल को राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा घोषित किया जाए। जब तक हम खेल को बच्चों के लिए एक शिक्षा नहीं बनाएंगे, तब तक ये सब बस एक बातचीत है। अमेरिका में खेल को डिफेंस सिस्टम का हिस्सा माना जाता है।

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    Siddharth Madan

    अगस्त 29, 2024 AT 17:20

    हर बच्चे को एक मौका चाहिए।

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    Nathan Roberson

    अगस्त 30, 2024 AT 05:36

    मैंने अपने दोस्त को देखा जो एक छोटे से शहर से आया था और वो बॉक्सिंग में इतना अच्छा खेलता था। लेकिन उसके पास ट्रेनिंग के लिए न तो पैसे थे न ही समय। अगर हम इन लोगों को सपोर्ट करेंगे, तो अगली बार हम टॉप 10 में हो सकते हैं।

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    Thomas Mathew

    सितंबर 1, 2024 AT 00:37

    ये सब बातें बस एक नाटक है। ओलंपिक तो अमेरिका और चीन के लिए एक बड़ा शो है। हम तो बस उनके नाटक के लिए एक अन्य भूमिका निभा रहे हैं। जब तक हम अपने खिलाड़ियों को इस नाटक से बाहर नहीं निकालेंगे, तब तक हमारे पास कोई वास्तविक जीत नहीं होगी।

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