चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना: झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए एक दोधारी तलवार

चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना: झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए एक दोधारी तलवार सित॰, 1 2024

चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना: राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव

झारखंड की राजनीतिक गलियों में इस समय एक बड़ा उथल-पुथल देखा जा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के मजबूत आधार रखने वाले नेता चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है। यह घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों के ठीक पहले यह फैसला लिया गया है। चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना कई नजरियों से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

आदिवासी वोट बैंक में बढ़त

चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से पार्टी की अपील झारखंड के आदिवासी समुदाय, विशेषकर संथाल और कोल्हान क्षेत्रों में और बढ़ सकती है। चंपई सोरेन का इन इलाकों में अच्छा प्रभाव है और इसका लाभ भाजपा को चुनावों में मिल सकता है। भाजपा ने पहले भी JMM पर आदिवासियों का अपमान करने का आरोप लगाया है, जिस कारण आदिवासी वोट बैंक का एक हिस्सा भाजपा की ओर आकर्षित हो सकता है।

आंतरिक कलह का बढ़ना

किंतु, इस कदम से भाजपा के आंतरिक गतिशीलताएँ भी प्रभावित होती दिखाई दे रही हैं। पार्टी के भीतर कई पूर्व मुख्यमंत्री जैसे कि चंपई सोरेन, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा जैसे दिग्गज नेता शामिल हो चुके हैं। इससे पार्टी के भीतर कई शक्ति केंद्र और शीर्ष पद के आकांक्षी बढ़ गए हैं, जो भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।

यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब देखते हैं कि पिछले लोक सभा चुनावों में भाजपा को झारखंड में कई झटके लगे थे। पिछली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल हैं, और भारशाली नेता अर्जुन मुंडा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खूँटी, जो कि एक आदिवासी सुरक्षित सीट है, उसमें पराजय का सामना किया।

भाजपा का आंतरिक संघर्ष

झारखंड भाजपा इस समय बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में है, जिन्होंने 2020 में अपनी पार्टी 'झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक)' का भारतीय जनता पार्टी में विलय कर लिया था। ऐसा माना जा रहा है कि वे चंपई सोरेन की नियुक्ति से संतुष्ट नहीं हैं। बाबूलाल मरांडी का मानना है कि चंपई सोरेन का शामिल होना उनके प्रभाव क्षेत्र को कम कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पार्टी आंतरिक संघर्ष को नहीं सुलझा पाई, तो इसका असर चुनावों पर पड़ सकता है।

आदिवासी समुदाय का समर्थन

चंपई सोरेन का भाजपा में आना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि झारखंड में आदिवासी समुदाय की संख्या भी बढ़ती जा रही है जो चुनावों में प्रमुख भूमिका अदा कर सकता है। भाजपा के इस कदम से आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ और मजबूत हो सकती है।

JMM के लिए चिंता

JMM के लिए यह बड़ी चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि उनके लंबे समय के सहयोगी और मजबूत नेता रहे चंपई सोरेन का भाजपा में जाना पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। इस कदम से JMM के वोट बैंक में भी कमी आ सकती है और यह भाजपा के लिए गोपनीय रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।

इस समय झारखंड की राजनीति का माहौल बदल चुका है। चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना एक बड़ी रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस नए समीकिरण को किस प्रकार से संभालती है और आने वाले चुनावों में यह पार्टी के लिए किस प्रकार से महत्वपूर्ण साबित होता है।

20 टिप्पणि

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    Aashish Goel

    सितंबर 2, 2024 AT 03:40
    ये तो बस एक रणनीति है... चंपई सोरेन को भाजपा ने अपनाया, लेकिन अब देखना होगा कि वो खुद को भाजपा के अंदर कैसे बरकरार रखते हैं। इनके आदिवासी वोट बैंक का असर तो होगा, पर भीतरी तनाव भी बढ़ जाएगा।
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    leo rotthier

    सितंबर 3, 2024 AT 19:08
    भाजपा ने अब आदिवासी वोट के लिए किसी को भी अपना लेने की हिम्मत कर ली है अब तो बस इन्हें जिताना है और जीत जाना है ये देश का भविष्य है
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    Karan Kundra

    सितंबर 4, 2024 AT 03:31
    चंपई सोरेन का जाना बहुत समझदारी भरा कदम है। जीतने के लिए नेता बदलते हैं, पार्टी नहीं। अब भाजपा को इनकी जमीनी ताकत का इस्तेमाल करना होगा, न कि उन्हें दबाना।
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    Vinay Vadgama

    सितंबर 6, 2024 AT 02:44
    इस राजनीतिक बदलाव को एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा सकता है। चंपई सोरेन के अनुभव और जनसमर्थन के साथ, भाजपा के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है।
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    Pushkar Goswamy

    सितंबर 7, 2024 AT 03:23
    मरांडी के खिलाफ चंपई का आगमन... ये तो राजनीति का एक नया दर्पण है। अब भाजपा के अंदर दो बड़े राजकुमार हैं... और जो जीतेगा, वो झारखंड का नया राजा बनेगा।
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    Abhinav Dang

    सितंबर 8, 2024 AT 16:51
    इस एलान से आदिवासी वोट बैंक का राजनीतिक गुरुत्वाकर्षण बदल गया है। भाजपा के लिए ये एक रणनीतिक री-एंट्री है जिसे वे अपने बुनियादी ढांचे के साथ समेटने की कोशिश कर रहे हैं।
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    krishna poudel

    सितंबर 9, 2024 AT 17:33
    अरे भाई ये तो सब जानते हैं कि चंपई को JMM ने धक्का दे दिया था और अब भाजपा ने उन्हें उठा लिया। ये राजनीति का खेल है ना... जो ज्यादा पैसा देगा, वो नेता बन जाएगा।
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    Anila Kathi

    सितंबर 11, 2024 AT 15:51
    चंपई सोरेन के जाने से JMM का दिल टूट गया... लेकिन भाजपा का दिल जीत गया 😅 अब देखना है कि ये नया जोड़ी कितनी देर चलेगी।
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    vasanth kumar

    सितंबर 13, 2024 AT 14:39
    झारखंड में आदिवासी समुदाय का वोट अब तक एक अलग बात थी... लेकिन अब ये एक राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गया है। चंपई सोरेन का ये कदम इस बात का प्रतीक है।
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    Andalib Ansari

    सितंबर 14, 2024 AT 17:14
    क्या ये सिर्फ एक नेता का पार्टी बदलना है? या ये एक समाज के विचारों के बदलने का संकेत है? क्या आदिवासी अब सिर्फ अपने जातीय समूह के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी वोट करने लगे हैं?
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    Pooja Shree.k

    सितंबर 16, 2024 AT 07:58
    मुझे लगता है, चंपई सोरेन ने बहुत सोच समझकर ये फैसला लिया है। JMM में उनका अपमान हो रहा था, और भाजपा ने उन्हें नई शक्ति दी। ये सही था।
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    Vasudev Singh

    सितंबर 17, 2024 AT 21:00
    देखो, भाजपा के अंदर अब बाबूलाल मरांडी, चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा... ये सब बड़े नेता हैं, और अब ये सब एक साथ एक ही पार्टी में हैं। इसका मतलब है कि अब भाजपा के अंदर किसी का नेतृत्व नहीं, बल्कि एक नेतृत्व संघर्ष है। ये तो बहुत खतरनाक है। अगर इन सबको एक साथ नहीं चलाया जा सका, तो चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान होगा।
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    Akshay Srivastava

    सितंबर 18, 2024 AT 17:13
    यह नेतृत्व संघर्ष भाजपा के लिए एक अस्तित्वगत खतरा है। जब एक पार्टी में एक से अधिक विशाल व्यक्तित्व एक साथ आते हैं, तो वहाँ संगठन का नियंत्रण नहीं, बल्कि व्यक्तिगत अभिमान का संघर्ष शुरू हो जाता है।
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    Amar Khan

    सितंबर 20, 2024 AT 07:13
    क्या ये सब बस एक बड़ा नाटक है? चंपई सोरेन को जाने का डर था, तो भाजपा ने उन्हें बुलाया... अब जब वो आ गए, तो अब वो उन्हें भी दबाने लगे। राजनीति का ये तरीका बहुत बदसूरत है।
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    Roopa Shankar

    सितंबर 20, 2024 AT 10:42
    चंपई सोरेन का ये कदम एक नया आशा का संकेत है। अगर भाजपा इन्हें वास्तविक शक्ति देती है, तो आदिवासी समुदाय के लिए ये एक नई शुरुआत हो सकती है। इन्हें बस अपने लोगों की आवाज बनने दो।
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    shivesh mankar

    सितंबर 22, 2024 AT 08:10
    ये बदलाव नए दिन की शुरुआत है। अगर भाजपा इस नेतृत्व को एक साथ लाकर एक दल बना दे, तो झारखंड की राजनीति में एक नया युग आ सकता है। बस इन्हें अपने आप को नहीं, बल्कि झारखंड को याद रखना होगा।
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    avi Abutbul

    सितंबर 24, 2024 AT 02:16
    चंपई सोरेन का भाजपा में आना बहुत अच्छा हुआ। अब वो अपने लोगों के लिए बेहतर फायदा कमा सकते हैं।
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    Hardik Shah

    सितंबर 26, 2024 AT 01:30
    ये सब बस एक नाटक है। चंपई ने अपने लोगों को बेच दिया। ये नेता नहीं, बेचने वाले हैं।
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    manisha karlupia

    सितंबर 28, 2024 AT 00:11
    क्या ये बदलाव वाकई आदिवासी समुदाय के लिए फायदेमंद होगा? या बस एक चुनावी चाल है? मुझे लगता है कि इसके पीछे का निर्णय बहुत गहरा है।
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    vikram singh

    सितंबर 29, 2024 AT 11:19
    अरे भाई, ये तो बस एक राजनीतिक ब्लॉकबस्टर है! चंपई सोरेन ने अपने जीवन का सबसे बड़ा ड्रामा बना दिया। अब भाजपा के लिए बस ये है कि उनकी फिल्म का अंत भी जबरदस्त हो जाए!

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