राफेल M डील: भारतीय नौसेना को 2029 से मिलेंगे नए जेट, समुद्री सुरक्षा को नई ताकत

राफेल M डील: भारतीय नौसेना को 2029 से मिलेंगे नए जेट, समुद्री सुरक्षा को नई ताकत मई, 14 2025

राफेल M डील: भारतीय नौसेना को कब मिलेंगे नए जेट?

भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए अब फ्रांसीसी राफेल M जेट्स जल्द उसके बेड़े में शामिल होने जा रहे हैं। 7.5 अरब डॉलर यानी करीब ₹63,000 करोड़ की यह डील ना सिर्फ नौसेना के ऑपरेशनल गैप्स को भरने जा रही है, बल्कि पहली बार भारत को सबसे एडवांस्ड नेवल फाइटर जेट्स मिलेंगे। साल 2028-29 से इनकी डिलिवरी शुरू होगी और पूरी खेप 2030 तक भारत आ चुकी होगी। डील में 22 सिंगल-सीटर राफेल एम और 4 ट्विन-सीटर राफेल बी ट्रेनर शामिल हैं, जिससे पायलट्स की ट्रेनिंग भी बेहतरीन रहेगी।

जब से 2017 में नौसेना ने अपने जेट्स में खामियां सामने आईं, तब से नए एडवांस फाइटर जेट्स की तैयारी चल रही थी। MiG-29K जेट्स की जगह राफेल M लाए जाएंगे क्योंकि पुराने जेट्स में तकनीकी और रखरखाव की तमाम दिक्कतें सामने आ चुकी हैं। ये जेट्स हवाई जहाजों के वाहक युद्धपोतों (aircraft carriers) से उड़ान भर सकते हैं, जो कि किसी भी देश की समुद्री सुरक्षा में सबसे अहम साबित होता है। राफेल M ने 2022 में गोवा के INS हंसा शोर-बेस्ड टेस्ट फैसिलिटी में कई सख्त ट्रायल्स भी पास किए हैं। यहां उसकी भारतीय तरह के STOBAR कैरियर्स (Short Take-Off But Arrested Recovery) के साथ पूरी तरह कंपैटिबिलिटी साबित हो चुकी है।

टेक्नोलॉजी और रणनीतिक मजबूती साथ-साथ

इस डील की एक बड़ी खासियत है कि यह भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच सीधे हुई है। राफेल M के साथ मिलने वाले हथियार, स्पेयर पार्ट्स और मेंटेनेंस पैकेज दस्सॉल्ट एविएशन भारतीय वायुसेना के 36 राफेल जेट्स से भी मैच करेंगे। इसलिए लंबे समय तक रखरखाव का झंझट नहीं रहेगा और ऑपरेशनल रेडीनेस कभी भी खतरे में नहीं आएगी। डील में ऐसा इंतजाम भी है कि शुरू से ही टोटल लाइफ-साइकिल सपोर्ट मिले।

इन नई खरीद के पीछे एक वजह भारतीय TEDBF (Twin Engine Deck Based Fighter) प्रोजेक्ट का फिलहाल डेवलपमेंट स्टेज में होना है। जब तक यह स्वदेशी फाइटर पूरी तरह तैयार होकर तैनात नहीं हो जाता, तब तक राफेल M ही भारतीय समुद्री सीमाओं की रक्षा करेगा। दूसरी ओर, पिछले कुछ दिनों में तीन राफेल जेट्स के युद्ध में गिराए जाने की खबरें भी आई हैं, जिनका हवाला फ्रेंच इंटेलिजेंस ने दिया है। इसके बावजूद भारत ने यह फैसला लिया है कि उसे अपनी नौसेना के लिए सबसे आधुनिक और भरोसेमंद फाइटर जेट्स चाहिए।

आश्चर्य की बात यह है कि राफेल M का यह पहला इंटरनेशनल ऑर्डर है। अब भारतीय नौसेना सिर्फ हिंद महासागर में ही नहीं, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी मौजूदगी और दबदबा और मजबूत कर सकेगी। चीन समेत तमाम समंदर के दावेदारों को भारत की यह सैन्य अपग्रेड साफ संदेश देती है।

साफ-साफ कहें तो नौसेना के फाइटर जेट बेड़े को नया जीवन मिलने जा रहा है। आने वाले पांच-छह सालों में जब राफेल M पानी पर वॉरशिप्स से उड़ान भरते नजर आएंगे, तब भारत की सैन्य ताकत एक नए मुकाम पर पहुंच जाएगी।

8 टिप्पणि

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    bharat varu

    मई 15, 2025 AT 23:36

    ये राफेल M वाली डील तो भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है। पिछले कई सालों से MiG-29K की तकनीकी समस्याओं की वजह से ऑपरेशनल रेडीनेस नीचे रही। अब फ्रांस के साथ सीधी डील होने से स्पेयर पार्ट्स और मेंटेनेंस में भारत को बहुत फायदा होगा। ये जेट्स तो बस एक नया हथियार नहीं, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक सिग्नल हैं।

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    Vijayan Jacob

    मई 16, 2025 AT 08:50

    अरे भाई, जब चीन के पास जितने भी कैरियर जेट्स हैं, तो हम अभी तक अपने जेट्स के लिए फ्रांस से मांग रहे हैं? राफेल M अच्छा है, पर TEDBF का डेवलपमेंट तो बंद हो गया क्या? ये तो जैसे बारिश के बाद छत की मरम्मत करना।

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    Saachi Sharma

    मई 17, 2025 AT 13:38

    अच्छा हुआ। अब तो बस जल्दी आ जाएं।

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    shubham pawar

    मई 17, 2025 AT 15:27

    मैंने तो सोचा था ये डील फ्रांस के लिए बड़ी है, पर अब लगता है ये भारत के लिए एक नया इतिहास बन रहा है। जब राफेल M अपने टेक-ऑफ के बाद आकाश में उड़ेगा, तो शायद हमारे बच्चे उसे इतिहास की किताबों में देखेंगे। मैं तो अभी से आंखें बंद करके उस दृश्य को देख रहा हूं - लहरों के ऊपर, बादलों के बीच, एक भारतीय पायलट जो अपने देश की गर्व से उड़ रहा है।

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    Nilisha Shah

    मई 18, 2025 AT 05:50

    राफेल M की कंपैटिबिलिटी INS हंसा पर टेस्ट करना एक बहुत ही स्मार्ट स्टेप था। STOBAR सिस्टम के साथ इसकी सफलता ने भारतीय नौसेना के लिए एक नया नॉर्म तैयार कर दिया। इसके साथ ही लाइफ-साइकिल सपोर्ट का इंतजाम होना बहुत महत्वपूर्ण है - ये बस एक खरीद नहीं, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी है। अगर TEDBF का डेवलपमेंट इसी तरह आगे बढ़े, तो भारत का स्वदेशी फाइटर जेट दुनिया के सामने आ सकता है।

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    Kaviya A

    मई 18, 2025 AT 22:27

    yaar ye sab toh badiya hai par kya humare paas koi aur option nahi tha? kuch toh galti hogi na is deal me.. aur phir bhi jaldi se jaldi delivery karo warna kuch aur jaldi a jayega

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    Supreet Grover

    मई 18, 2025 AT 22:58

    लाइफ-साइकिल कॉस्ट मॉडल के तहत यह डील एक एक्सप्लिसिट एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स फ्रेमवर्क को एंबेड करती है, जिसमें डिजिटल ट्विन, प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और सिंगल-सोर्स स्पेयर्स इंटीग्रेशन शामिल हैं। इसके साथ ही इंडियन नेवी के लिए डीप-इंटीग्रेटेड इंटरऑपरेबिलिटी एक रियल-वर्ल्ड एन्क्रिप्शन लेयर के रूप में काम करेगा।

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    Saurabh Jain

    मई 20, 2025 AT 03:03

    ये डील भारत के लिए सिर्फ तकनीकी अपग्रेड नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। जब तक हम अपने स्वदेशी प्रोजेक्ट्स को नहीं बढ़ावा देंगे, तब तक विदेशी तकनीक पर निर्भर रहना पड़ेगा। लेकिन अभी तो ये राफेल M हमारे लिए एक बहुत बड़ी सुरक्षा निवेश है। अच्छा हुआ कि फ्रांस के साथ ये साझेदारी हुई।

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