पटना में व्यापारी गोपाल खे़मका की हत्या से बिहार की कानून व्यवस्था सवालों में, पुलिस की छानबीन जारी

पटना में व्यापारी की हत्या: बिहार में अपराध पर फिर उठे सवाल
पटना के चर्चित व्यवसायी गोपाल खे़मका की 4 जुलाई की सुबह उनके ही घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह मामला बिहार में कानून व्यवस्था की जमीनी हकीकत को एक बार फिर सामने ले आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि करीब सात साल पहले खे़मका के बेटे की भी हाजीपुर में हत्या हो चुकी थी। दो बड़ी घटनाओं के बाद उनके परिवार की सुरक्षा व्यवस्था और राज्य की आपराधिक स्थिति पर गंभीर बहस छिड़ गई है।
घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि हत्या के पीछे पुरानी जमीन से जुड़ा विवाद था। जमीन संबंधी झगड़ों और पैसों की लेन-देन से जुड़े मामले अक्सर हत्या जैसी गंभीर वारदातों में बदल जाते हैं, और इस बार भी कहानी कुछ ऐसी ही निकलती दिख रही है।
गिरफ्तारियां, मुठभेड़ और जांच की प्रक्रिया
पुलिस ने आनन-फानन में हत्याकांड के मुख्य शूटर उमेश को अरेस्ट किया। छानबीन आगे बढ़ी तो पता चला कि इसके पीछे बाकायदा सुपारी किलिंग की साजिश थी। इस केस में विकास 'राजा', जो बदनाम हथियार सप्लायर के तौर पर जाना जाता है, को भी पुलिस ने ढूंढ निकाला। हालांकि विकास को पकड़ने के लिए जब छापा मारा गया, तो उसने फायरिंग शुरू कर दी और इसी मुठभेड़ में वो मारा गया। पुलिस की मानें तो विकास कई विवादित मामलों में वांछित था और उसके कनेक्शन प्रदेश के कई आपराधिक गुटों से हैं।
सिर्फ शूटर और विकास ही नहीं, पुलिस ने कई और संदिग्धों को हिरासत में लिया है जिनमें सुपारी देने का आरोप झेल रहे लोग भी शामिल हैं। शुरुआती पूछताछ और सबूतों के आधार पर पुलिस का मानना है कि हत्या की साजिश लंबे समय से चल रही थी और इसमें पैसों और संपत्ति को लेकर काफी तनाव पैदा हो गया था।
इस हाई-प्रोफाइल केस के बाद बिहार में क्राइम कंट्रोल और आम लोगों की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। जेडीयू के राजीव रंजन जैसे नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस केस की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक विरोधी इस पूरे घटनाक्रम को राज्य सरकार की नाकामी की तरह दिखा रहे हैं।
बिहार में खासतौर से राजधानी पटना में पुराने विवाद, जमीन संबंधी झगड़े, माफिया मूवमेंट, और आर्थिक अपराधियों का नेटवर्क बहुत गहराई तक फैला है। ऐसे गुनाह अक्सर सत्ता की सख्ती और पुलिस की चुस्ती दोनों की असली परीक्षा बन जाते हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी व्यापारी की हत्या के बाद राजनीति और प्रशासन सवालों के घेरे में आए हैं। आम लोगों के मन में असुरक्षा की भावना और सिस्टम की खामियों को उजागर करने वाले ऐसे हर अपराध के बाद बहस और तेज हो जाती है। इस वारदात ने संवेदना और गुस्से की नई लहर पैदा कर दी है, जिसमें परिवार न्याय की मांग कर रहा है और सत्ता विपक्षी राजनीति एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगा रहे हैं।