लोकसभा में राहुल गांधी का 'हिंदुत्व' पर तंज: ओम बिरला ने जताई आपत्ति
जुल॰, 3 2024
लोकसभा में गर्मागर्म बहस: राहुल गांधी और हिंदुत्व
हाल ही में लोकसभा के एक सत्र के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर तीखा तंज कसा। उन्होंने बीजेपी की विचारधारा पर चर्चा करते हुए हिंदुत्व पर टिप्पणी की जो कि संसद के अध्यक्ष ओम बिरला को नागवार गुजरी। बिरला ने इस टिप्पणी को सदन की अनुशासन और मर्यादा के विरुद्ध माना और इसे तुरंत रोकने का आदेश दिया। राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य के दौरान भगवान शिव की तस्वीर भी दिखाई, जिससे सदन में हलचल मच गई।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर बीजेपी के सदस्य भडक उठे। उनका कहना था कि कांग्रेस नेता ने धार्मिक आस्थाओं का अपमान किया है और इस तरह की टिप्पणी संसद के मानकों के अनुरूप नहीं है। बीजेपी सदस्यों ने तुरंत राहुल गांधी से माफी की मांग की और कहा कि वह अपनी टिप्पणी वापस लें। इस बीच, अलग-अलग बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे पर मीडिया में भी प्रतिक्रिया दी, इसे कांग्रेस की सोच का प्रतिबिंब तक कह डाला।
कॉंग्रेस का रुख
दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी का समर्थन किया। उनका कहना था कि राहुल केवल सत्तारूढ़ दल की नीतियों और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे, न कि धार्मिक आस्थाओं पर। कांग्रेस के अनुसार, बीजेपी हिंदुत्व का इस्तेमाल केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है और यह मुद्दा उठाना जरूरी था। पार्टी प्रवक्ताओं ने भी राहुल गांधी की टिप्पणी को सही ठहराते हुए इसे बीजेपी के खिलाफ एक वैध विपक्षी भूमिका बताया।
ओम बिरला की आपत्ति
संसद के अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। उनका कहना था कि सदन की गरिमा और अनुशासन का पालन करना सभी सदस्यों का कर्तव्य है। उन्होंने राहुल गांधी की टिप्पणी को असंवैधानिक और सदन के नियमों के विपरीत बताते हुए इसे हटाने का आदेश दिया। बिरला ने यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से सदन की गरिमा को ठेस पहुँचती है और इससे बचा जाना चाहिए।
राजनीतिक गलियारों में भूचाल
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल सा ला दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी इस पर जोरदार चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी के समर्थक अपने-अपने नेताओं का समर्थन कर रहे हैं और इस विवाद को लेकर जनता में विभाजन दिख रहा है। बहुत से सामाजिक और धार्मिक संगठन भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारतीय राजनीति कितनी संवेदनशील और तनावपूर्ण हो सकती है। जहां एक तरफ राजनीतिक दल अपने विचारधारा और नीतियों के माध्यम से जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगे रहते हैं, वहीं दूसरी ओर सदन में ऐसी घटनाएं भी होती रहती हैं जो देश की राजनीति को नई दिशा दे सकती हैं।
समाज में असर
इस प्रकार की घटनाओं का समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जनता में राजनीतिक जागरूकता और उनकी आस्थाओं में बदलाव देखा जा सकता है। यह जरूरी है कि राजनीतिक दल अपने बयानों और समर्थनों में सतर्कता बरतें ताकि वे समाज के विभिन्न वर्गों की भावनाओं का सम्मान कर सकें।
आगे चलकर यह देखा जाएगा कि यह विवाद नए राजनीतिक घटनाक्रम को क्या मोड़ देता है और भारतीय लोकतंत्र में किस प्रकार की दिशा-निर्देशित टिप्पणियाँ सामने आती हैं।
simran grewal
जुलाई 4, 2024 AT 10:03Vitthal Sharma
जुलाई 6, 2024 AT 08:31vikram yadav
जुलाई 8, 2024 AT 05:51Dr.Arunagiri Ganesan
जुलाई 8, 2024 AT 13:33Sutirtha Bagchi
जुलाई 9, 2024 AT 00:03kuldeep pandey
जुलाई 10, 2024 AT 13:19Yogesh Dhakne
जुलाई 12, 2024 AT 07:48Vijayan Jacob
जुलाई 12, 2024 AT 10:32Tamanna Tanni
जुलाई 13, 2024 AT 17:33Rosy Forte
जुलाई 15, 2024 AT 15:13Monika Chrząstek
जुलाई 17, 2024 AT 01:24bharat varu
जुलाई 18, 2024 AT 14:28Shrikant Kakhandaki
जुलाई 20, 2024 AT 02:23dhananjay pagere
जुलाई 20, 2024 AT 05:34Hannah John
जुलाई 20, 2024 AT 22:58Vinay Menon
जुलाई 22, 2024 AT 01:12chandra aja
जुलाई 23, 2024 AT 15:57