Earth Day 2025: पृथ्वी को बचाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा संकल्प
अप्रैल, 23 2025
Earth Day 2025: जलवायु संकट के खिलाफ नई सोच
क्या आप जानते हैं कि इस बार Earth Day 2025 की थीम है – 'Our Power, Our Planet'? हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह दिन अपनी शुरुआत के 55 साल बाद भी न सिर्फ एक परंपरा रह गया है, बल्कि अब यह पूरी दुनिया की एक जरूरत बन चुका है. यह दिन वो मौका है जब एक अरब से ज्यादा लोग दुनियाभर में पर्यावरण बचाने के लिए जुट जाते हैं, जिससे बड़े बदलाव की शुरुआत होती है.
इस बार फोकस है ऊर्जा से जुड़ी बड़ी कोशिशों पर. आज भी दुनियाभर में करीब 3.8 अरब लोग ऐसे हैं, जिन्हें आरामदायक या पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही. ऐसे में इस दिवस पर चर्चा है कि कैसे लोग, सरकारें और कंपनियां मिलकर हर गाँव, हर शहर को नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा से रोशन कर सकते हैं. यही वजह है कि इस बार लक्ष्य रखा गया है – साल 2030 तक साफ-सुथरी बिजली के उत्पादन को तीन गुना बढ़ाना. यानी न सिर्फ बेहतरीन जिंदगी का सपना, बल्कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी मुश्किलों से छुटकारा भी.
तीन गुना क्लीन एनर्जी: सपना या हकीकत?
आप सोच रहे होंगे, इतनी बड़ी बात क्या सच में मुमकिन है? दरअसल कोशिश यहीं खत्म नहीं होती. साफ विद्युत उत्पादन तीन गुना हो जाए, तो कोयला और डीजल जैसे जले हुए ईंधन पर निर्भरता घटती है. इससे प्रदूषण तो कम होता ही है, साथ ही हवा, पानी और मिट्टी भी साफ होती है. बच्चों की सेहत सुधरती है, खेती बाड़ी में भी फायदा होता है, और बिजली के बिल कम आते हैं. यही नहीं, गाँवों की पढ़ाई-लिखाई, छोटे कारोबार और अस्पतालों तक में बदलाव देखा जा सकता है.
इसका मतलब सिर्फ पॉवर प्लांट खड़ा करना नहीं है. इसमें तकनीकी बदलाव, नई सोच और समुदाय की भागीदारी बहुत जरूरी है. छोटे-छोटे गांवों में सौर लैंप या छतों पर सोलर पैनल, शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन, कारोबारी इलाकों में हरित ऊर्जा उपकरण – ये सब मिलकर इस बदलाव की नींव रखते हैं.
- शहरी और ग्रामीण हर क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा पर निवेश
- स्थानीय लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता अभियान बढ़ाना
- सरकार, जनता और कंपनियों के बीच तालमेल
- युवाओं की नई सोच और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
Earth Day पर सबसे बड़ा संदेश यही है कि बदलाव अकेले सरकार या कंपनियां नहीं लातीं – असली बदलाव लोगों से आता है. स्कूल-कॉलेजों में पौधारोपण अभियान, साइकिल रैलियां, गंदगी से बचाव या ऊर्जा की बचत – ये छोटी-छोटी बातें मिलकर बड़ा असर डालती हैं. जब सब मिलकर चलते हैं, तभी बड़ी मुश्किलें आसान होती हैं.
ashi kapoor
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