भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: अमेरिका के टैरिफ दबाव के बीच नई रणनीतिक साझेदारी

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: अमेरिका के टैरिफ दबाव के बीच नई रणनीतिक साझेदारी मई, 7 2025

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: बदलती वैश्विक राजनीति में बड़ी साझेदारी

जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 की शुरुआत में अपने ट्रेड पार्टनर्स के लिए टैरिफ बढ़ाने के संकेत दिए, तो कई देशों में हड़कंप मच गया। इस माहौल में भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) की बातचीत अचानक तेज हो गई। यूके के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने फरवरी में भारत दौरे के दौरान इन वार्ताओं को अगली स्टेज तक पहुंचाया। उनकी कोशिश साफ थी—यूएस के संभावित ट्रेड डिस्रप्शन से पहले दोनों देश कोई बड़ा समझौता कर लें।

इन वार्ताओं का फोकस बहुत सीधा था: 90% वस्तुओं पर टैक्स/शुल्क घटाना और सालाना द्विपक्षीय व्यापार को कम से कम £25.5 अरब तक ले जाना। साथ ही, भारत और यूके की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का मौका भी था, जब सारी दुनिया ट्रेड अनिश्चितताओं से जूझ रही है। जुलाई 2024 में ब्राजील में हुए जी20 समिट की प्रगति और वहां बने भरोसे को भी इन ताजा समझौतों में अहम माना जा रहा है।

वीआईपी फिनिशिंग टच तब आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने 6 मई 2025 को FTA के सफल समापन का ऐलान किया। दोनों नेताओं ने साफ-साफ कहा कि यह समझौता सिर्फ ट्रेड ही नहीं, रोजगार, इनोवेशन और ग्रोथ को भी बूस्ट करेगा। मोदी ने इसे 'विकसित भारत 2047' के विज़न के अनुरूप बताया, वहीं स्टारमर ने इसे 'यूके ट्रेड के लिए नया युग' करार दिया।

खुशियां और चिंता, दोनों साथ

खुशियां और चिंता, दोनों साथ

हालांकि समझौते के फायदों को लेकर दोनों सरकारें उत्साहित दिखीं, मगर घरेलू स्तर पर खासकर यूके में श्रम बाजार और लेबर मूवमेंट को लेकर चिंता कम नहीं हुई। तमाम ट्रेड बॉडीज और राजनीतिक पार्टियों ने भारतीय वर्कफोर्स को एक्सेस देने के मुद्दे पर बहस छेड़ दी, जिसे समझौते की सबसे बड़ी चुनौती माना गया। फिलहाल समझौते में ऑन पेपर वीजा और वर्क परमिट के कुछ आसान नियम तय हुए हैं, लेकिन लागू करने की राह इतनी आसान नहीं लगती।

दूसरी तरफ, कर प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए इसमें 'डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन' भी जोड़ा गया है, जिससे कंपनियों को ड्यूल टैक्सेशन का डर न रहे। इससे द्विपक्षीय व्यापार के नए मौके बनेंगे और क्रॉस-बॉर्डर इन्वेस्टमेंट भी आसान होगी।

  • 90% से ज़्यादा प्रोडक्ट्स पर आयात-निर्यात शुल्क में भारी छूट
  • व्यापार वृद्धि का नया टारगेट सालाना £25.5 अरब तय
  • ‘विकसित भारत 2047’ मिशन में विदेशी निवेश को मिलेगी ताकत
  • यूके में भारतीय श्रमिकों की एंट्री सबसे विवादित विषय

ग्लोबल ट्रेड के इस नए मोड़ पर भारत-यूके समझौता सिर्फ आंकड़ों वाली खबर नहीं है, बल्कि इन दोनों मुल्कों के रिलेशन, रोजगार और इनोवेशन की दिशा तय करने वाली सबसे बड़ी डील साबित हो सकती है। अब असली नजर दोनों देशों में इसे कैसे लागू किया जाता है, इस पर होगी।